Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
मनीष दीक्षित-भोपाल। आने वाले वर्षों में सरकार का खजाना भरने में खनन विभाग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। जिस गति से माइनिंग गतिविधियों से राजस्व मिल रहा है, उसे देखकर लगता है कि जल्द ही यह सरकार के सबसे बड़े कमाऊ विभागों में शामिल होगा। चालू वित्तीय वर्ष में माइनिंग से होने वाली आय सबसे तेजी से बढ़ रही है और यदि यही गति आगे भी जारी रही तो जल्द ही माइनिंग विभाग राजस्व के लिहाज से सरकार का सबसे प्रमुख विभाग बन सकता है। चालू वित्त वर्ष में 41 फीसदी वृद्धि के साथ राजस्व विभाग आय अर्जित करने में रिकॉर्ड बना सकता है।
दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद मध्यप्रदेश राजस्व के लिए मात्र चार प्रमुख मदों पर निर्भर रहता था, जिनसे सरकार को राजस्व मिलता है। ये चार मद है राज्य जीएसटी, स्टाम्प तथा पंजीकरण, उत्पाद शुल्क (एक्साइज ) और बिक्री व व्यापर पर लगने वाला कर। इन मदों से सरकार को 12,500 करोड़ से 40,000 करोड़ तक का राजस्व मिलता है। चालू वित्तीय वर्ष में क्रमश: इनके राजस्व में 25, 20, 15 और 8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। साथ ही परिवहन और बिजली विभाग द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क भी 5,000 करोड़ से अधिक के रहते हैं।
प्रदेश की इन राजस्व मदों के अलावा खनिज विभाग भी 10,000 करोड़ के क्लब में शामिल हो गया है। चालू वित्तीय वर्ष में 41 फीसदी वृद्धि के साथ यह आंकड़ा 11,500 करोड़ से अधिक होने की संभावना है। मध्यप्रदेश खनिज संपदा के क्षेत्र में देश में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला राज्य है। हाल ही में भोपाल में आयोजित जीआईएस में खनन एवं खनिज संसाधन के अंतर्गत 3.22 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। खनिज संसाधनों के उपयोग से न केवल राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
खनिजों पर रॉयल्टी और टैक्स लगाने का हक राज्यों को मिलने से स्थिति में बड़ा परिवर्तन संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों के पास ऐसा करने की क्षमता और शक्ति है। इस फैसले से मप्र, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छग और राजस्थान जैसे खनिज समृद्ध राज्यों को लाभ हो रहा है।
मप्र में खनिज भरपूर हैं। यहां कई खदानें नीलाम हो चुकी हैं। नीलाम हुई खदानों से जितनी जल्द खनन शुरू होगा वैसे ही राजस्व में और वृद्धि होगी, जैसी ओडिशा में हुई है। -वीएल कांताराव, सचिव, खनन मंत्रालय, भारत सरकार