
भोपाल। भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे सरताज सिंह का गुरुवार सुबह भोपाल में निधन हो गया। सरताज बाबू जी के नाम से पहचाने जाने वाले सरताज सिंह ने 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सरताज सिंह 5 बार के सांसद, 2 बार के विधायक थे।
भाजपा छोड़ कांग्रेस में हो गए थे शामिल
दरअसल, 2018 के चुनाव में अपनी परंपरागत सीट सिवनी मालवा से टिकट नहीं मिलने से वे भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। भाजपा ने अधिक उम्र बताकर सरताजसिंह का टिकट काट दिया था। इससे नाराज होकर वे 8 नवंबर 2018 को भाजपा छोड़ कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस ने उन्हें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और होशंगाबाद विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा के सामने होशंगाबाद से लड़ाया था, लेकिन वे हार गए।
इससे पहले सिंह को मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री पद से साल जून 2016 में कथित रूप से 75 साल की उम्र पार करने की वजह से हटाया गया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 75 प्लस का फॉर्मूला लागू करने की बात कही थी। इस फॉर्मूले के तहत न केवल सरताज सिंह बल्कि बाबूलाल गौर और रामकृष्ण कुसमरिया जैसे दिग्गज नेताओं के टिकट भी कट गए थे।
साल 2020 में हुई घर वापसी
15 दिसंबर 2020 को उनकी घर वापसी हुई। भोपाल में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में सरताज सिंह ने औपचारिक तौर पर बीजेपी दोबारा ज्वाइन कर ली। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सरताज सिंह ने कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के BJP में जाने के कदम को सही बताया था। उन्होंने कहा था कि, वे उनके साथ हैं। तभी से उनके भाजपा में लौटने की अटकलें थीं। हालांकि, उन्होंने तत्काल वापसी नहीं की थी।
सरताज सिंह के बारे में जानें
- मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे सरताज सिंह का जन्म 26 मई 1940 को हुआ था।
- सरताज सिंह भाजपा से 5 बार सांसद, 2 बार विधायक रह चुके हैं। वे केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री तथा प्रदेश में वन व लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं।
- भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। पहली बार 1971 में सरताज सिंह इटारसी नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यक्ष बने थे। वे अटल बिहारी वापजेयी की 13 दिन की सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे।
- सरताज सिंह 1989 से 1999 तक होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से लगातार चार बार सांसद रहे। उन्होंने 1989 से 1996 तक की अवधि में तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को लगातार हराया।
- 1998 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अर्जुन सिंह को हराया। 1999 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। 2004 में फिर से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की।
- 2008 में होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी एवं तत्कालीन विधान सभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया। इसके बाद उन्हें भाजपा सरकार में मंत्री भी बनाया गया।
- 2013 में वे फिर जीतकर आए और मंत्री बने, लेकिन 2016 में 75 साल की उम्र के फेर में उनसे इस्तीफा ले लिया गया। 2018 में वे सीतासरन शर्मा से हार गए।