Aakash Waghmare
21 Oct 2025
Mithilesh Yadav
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Priyanshi Soni
21 Oct 2025
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अशोक गौतम-भोपाल। शहर से सटे गांवों में मैरिज गॉर्डन और रिसॉर्ट की संख्या लगातार बढ़ रह है। इससे संचालकों के पास बड़े स्पेस होते हैं और आयोजन कराने वाले को शहरों की अपेक्षा सस्ता पड़ता है। यानि मालिकों और आयोजकों दोनों काखर्च बचता है। उधर पंचायतों को टैक्स का नुकसान उठाना पड़ रहा है ऊपर से गंदगी और कचरा फैलने से स्वच्छता पर विपरीत असर हो रहा है।
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने एक साल पहले गांव की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए लोगों और जनप्रतिनिधियों से सुझाव मांगे थे। इसमें यह बात आई थी कि 100-200 रुपए की पर्ची में शादी गार्डन मिल जाते हैं। यहां शहरों जैसे टैक्स लगाना चाहिए, जिससे गांवों की आर्थिक स्थिति मजबूत बन सके।
शहरी सीमा से जुड़े गांवों में बहुमंजिला भवन और कॉलोनियां हैं, उसी हिसाब से कचरा भी निकलता है। सड़कों पर वाहनों और शादी के समय में लोगों की भीड़ भी बढ़ती है। इसको लेकर सरपंचों और पंचायत सदस्यों ने यह सुझाव दिए थे कि 15 से 20 किमी के अंदर शहरों जैसे टैक्स लगाना चाहिए, जिससे कि पंचायतों में शहरों जैसी सुविधाएं दी जा सके।
सरकार के नियम है कि हाईवे के किनारे जो भी पेट्रोल पंप या शादी हॉल बनेंगे उसके लिए पीडब्ल्यूडी कोे लाइसेंस के नाम पर 3. 60 लाख रुपए जमा कराना होगा। इसके अलावा हर पांच वर्ष में 10 हजार रुपए लाइसेंस नवीनीकरण चार्ज भी होगा। लेकिन इंदौर-देवास हाइवे, भोपाल-नर्मदापुरम रोड, भोपालविदिशा रोड में सैकड़ों शादी गार्डन और रिसॉर्ट हैं, यहां किसी ने भी लोक निर्माण विभाग से अनुमति नहीं ली है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यक्रम और ठहरने की व्यवस्था सस्ते में हो जाती है। लेबर और सामग्री भी सस्ते में पर्याप्त मिल जाते हैं। शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में पार्किंग और तमाम कार्यक्रम के लिए गार्डन के बाहर भी इफरात जगह मिल जाती है। -कैलाश सिंह संचालक, ग्रीन गार्डन, भोपाल-देवास रोड
निकाय सीमा से 15 से 20 किमी की परिधि में आने वाले गांवों में शहरों जैसे टैक्स लगाने और सुविधाएं देने पर सरकार विचार कर रही है। पंचायतों के टैक्स रिफॉर्म के लिए लोगों से सुझाव लिए गए और कार्यशाला भी की गई है। -प्रहलाद पटेल, मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास