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बांस और धान से बने गणेशजी, पेशवाई फेंटा पगड़ी इस बार खास

गणेशोत्सव आज से : संग्रहालय से लेकर घर तक गणपति के विविध रूप

भगवान गणेश को हर बार कलाकार कुछ नए तरीके से सुंदरता के साथ प्रस्तुत करते हैं। संग्रहालयों से लेकर कलाकारों तक सभी के बीच खासतौर पर विघ्नहर्ता को अलग-अलग माध्यम से आकार देना हमेशा से ही खास रहा है। मंगलवार से शुरू होने जा रहे गणेशोत्सव में इस बार कलाकारों ने गणेशजी की पगड़ी पर खास काम किया है। चटख रंगों व बड़े आकार की पेशवाई फेंटा, दगड़ू सेठ पगड़ी, राजेशाही पगड़ी देखने को मिल रही है। वहीं कलाकारों ने बांस व धान भी गणेशजी बनाए हैं।

धान व धागों से हर साल बनाता हूं गणेशजी

स्टेट अवॉर्डी धर्मेंद्र रोहर ने धागों, बांस व धान से गणेश जी बनाए हैं। इसी विधा के लिए धर्मेंद्र को मप्र शासन का अवॉर्ड दिया था। धर्मेंद्र कहते हैं, मैं हर साल इस तरह से गणेशजी बनाता हूं। मूर्ति बनाना सीखने के लिए कॉलेज के स्टूडेंट्स दूसरे राज्यों से भी आते हैं। हम अलग-अलग त्योहार पर इसी तरह से मूर्ति बनाते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली होती हैं।

बेंत, गोबर और कागज का मुखौटा

कागज का मुखौटा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में साल 2008 में असम के शिवसागर, लोक समुदाय से भगवान गणेश का मुखौटा संग्रहित किया गया था। मुखौटे के निर्माण में बांस, बेंत, मिट्टी, गोबर, जूट के रेशे, कागज, सूती कपड़ा और प्राकृतिक रंग सहित विभिन्न सामग्रियों का उपयोग किया गया है। यह सफेद, काला, लाल और पीले रंग से रंगा मुखौटा या मुखा है।

राजेशाही और पेशवाई फेटा वाले गणेश

इस बार मिट्टी के गणेशजी को भी सजाया गया है, उनके पगड़ी पर खास फोकस किया गया। शाडू मिट्टी के गणपति पानी में जल्दी घुलते हैं। चटख रंगों व बड़े आकार की पेशवाई फेंटा, दगड़ू सेठ पगड़ी, राजेशाही पगड़ी देखने को मिल रही है और यही लोगों को आकर्षित भी कर रही है। इस बार गणेशजी के साथ छोटी-छोटी सजावट वाली झांकियां भी मिल रही हैं, जिन्हें लोग अपने घर में लगा सकते हैं।

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