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राइटिंग स्किल्स के लिए बनाएं ट्रैवल नोट्स, बच्चों को गिफ्ट में दें डायरी

एवरीवन राइट्स डे : कुछ खास तरीकों से बढ़ा सकते हैं अपना लेखन कौशल

इन दिनों तमाम तरह की स्किल्स पैरेंट्स अपने बच्चों को सिखाना चाहते हैं, लेकिन एक हुनर सभी के हाथों से छूट रहा है और वो है राइटिंग स्किल्स। मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज लिखने और वॉट्स ऐप मैसेज के चलते अब लेखन शॉर्ट राइटिंग तक सीमित हो गया है। कागज-कलम से अपनी भावनाओं को ना तो बड़े कलमबद्ध कर रहे हैं, ना ही बच्चे, लेकिन लेखन में रुचि रखने वाले लोग व साहित्यकार इस दिशा में कुछ प्रयास कर रहे हैं, ताकि लिखने का हुनर पीछे न छूट जाए और साहित्य के क्षेत्र में अच्छे लेखन की कमी से भविष्य में जूझना न पड़े। बच्चों का लेखन से जुड़ाव बने और अच्छे लेखक भविष्य में तैयार हो इसकी नींव अभिभावकों व शिक्षकों को तैयार करना होगी। एवरीवन राइट्स डे के मौके पर काउंसलर व स्कूल प्रिंसिपल डॉ. राजेश शर्मा बता रहे हैं कुछ तरीके जिनसे बच्चों व बड़ों को लिखने के लिए मोटिवेट किया जा सकता है।

राइटिंग मटेरियल देते रहे

किसी भी क्षण बच्चे के भीतर का लेखक जाग सकता है। बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे जब बाहर घूमने-फिरने जाएं तो फोटो क्लिक करते रहने की बजाए वहां कुछ नोट करें या स्केच करें। अपने साथ हमेशा राइटिंग मटेरियल साथ रखें। बच्चों के बैग पैक में सुंदर सी डायरी और पॉकेट में पेन रखें।

अब डायरी का थामें साथ

बच्चों को गिफ्ट में खिलौने या गैजेट्स की बजाए सुंदर डायरी दें और हर दिन की कुछ खास बात लिखने को कहें। इस दौरान स्पेलिंग या ग्रामर की गलती न निकालें बस बच्चे को जो चाहे लिखने दें।

घर में व्हाइट बोर्ड लगाकर रखें और सभी उस पर लिखें

व्हाइट बोर्ड सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं, बल्कि ऐसी जगह रखें जहां बच्चे, बड़े चलते-फिरते बोर्ड पर कुछ लिख सकें। सभी फैमिली मेंबर बोर्ड पर कुछ लिखते रहे, चाहें वो कोई कविता या कोई कोट।

स्कूलों में लेखन को बढ़ावा देने वाली गतिविधि कराती हूं

अच्छा लिखने के लिए हमें नियमित रूप से उत्कृष्ट साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। व्याकरण संबंधी अशुद्धियां, वचन, वर्तनी, अनुस्वार- अनुनासिक ये अशुद्धियां हम बहुतायत में करते हैं। हिंदी हो या चाहे इंग्लिश लिखने का चलन कम हुआ है। बच्चे बस उतना ही लिख रहे हैं जितना स्कूल में पढ़ाया जाता है, इससे इतर लेखन में भारी कमी आई है और यही वजह है कि अब भविष्य में अच्छा साहित्य पढ़ने का संकट खड़ा हो सकता है। घर, स्कूल और कॉलेज में लेखन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां बढ़ाने की जररूत है। मैं समय-समय पर स्कूलों में लेखन प्रतियोगिता कराती हूं, ताकि बच्चे अपनी कमियां जानकर उन पर काम कर सकें। -अनुपमा श्रीवास्तव, अनुश्री, साहित्यकार

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