
नई दिल्ली। भारत की बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा (Mahindra) अब भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए ट्रांसपोर्ट विमान बनाने जा रही है। कंपनी ब्राजील की एंबरेयर कंपनी से समझौता किया है। शुक्रवार को इस साझेदारी की घोषणा की। ये विमान भारत में ही बनेगा।
एमओयू ब्राजीलियाई एंबेसी में हुआ साइन
वायुसेना के लिए मध्यम परिवहन विमान (एमटीए) की खरीद परियोजना के लिए दोनों कंपनियों के बीच साझेदारी संबंधी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर यहां ब्राजीलियाई दूतावास में हस्ताक्षर किए गए। भारतीय वायुसेना अपने पुराने परिवहन विमानों एएन 32 के बेड़े को बदलने के लिए 40 से लेकर 80 तक मध्यम श्रेणी के परिवहन विमानों की खरीद करने की तैयारी में है। इसके विकल्प के लिए एम्ब्रेयर डिफेंस एंड सिक्योरिटी का सी-390 मिलेनियम, एयरबस डिफेंस एंड स्पेस का ए-400एम विमान और लॉकहीड मार्टिन का सी-130जे विमान प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं।
भारत में विमान से संबंधित नई तकनीक लाने में मिलेगी मदद
एम्ब्रेयर और महिंद्रा ने एक संयुक्त बयान में एमओयू की जानकारी देते हुए कहा कि सी-390 मिलेनियम को लेकर सहयोग से भारत में वैमानिकी एवं सैन्य परिवहन विमान से संबंधित नवीनतम तकनीक लाने में मदद मिलेगी। एम्ब्रेयर डिफेंस के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बॉस्को डा कोस्टा जूनियर ने कहा, “भारत में एक विविध और मजबूत रक्षा एवं वैमानिकी उद्योग है और हमने एमटीए कार्यक्रम को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने के लिए महिंद्रा को अपने भागीदार के रूप में चुना है।” महिंद्रा के वैमानिकी एवं रक्षा क्षेत्र के अध्यक्ष विनोद सहाय ने कहा कि उन्हें एम्ब्रेयर के साथ साझेदारी शुरू करने पर गर्व है। उन्होंने कहा, “यह साझेदारी न केवल भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि एक कुशल औद्योगीकरण समाधान भी प्रदान करेगी जो मेक इन इंडिया के उद्देश्यों से भी मेल खाएगा।”
सी-390 मिलेनियम विमान को इन देशों ने भी चुना
एमओयू पर एम्ब्रेयर डिफेंस एंड सिक्योरिटी और महिंद्रा के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स की तरफ से हस्ताक्षर किए गए। बयान के मुताबिक, सी-390 विमान हवा से हवा में ईंधन भरने वाले उपकरण से सुसज्जित है। यह कम परिचालन लागत के साथ उच्च उत्पादकता और परिचालन लचीलेपन का संयोजन करते हुए बेजोड़ गतिशीलता प्रदान करता है। अभी तक सी-390 मिलेनियम विमान को ब्राजील, पुर्तगाल, हंगरी, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य और हाल ही में दक्षिण कोरिया ने इस्तेमाल के लिए चुना है।
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