
उज्जैन। धर्मनगरी उज्जैन में होली पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को सबसे पहले होलिका दहन किया जाएगा। इस पावन अवसर पर भगवान महाकाल के स्नान की परंपरा भी बदलेगी और गर्म जल के स्थान पर ठंडे जल से अभिषेक किया जाएगा।
हर साल की तरह इस बार भी कालों के काल बाबा महाकाल के दरबार में होलिका दहन के साथ उत्सव की शुरुआत होगी। इस दौरान महाकाल की आरतियों के समय में भी परिवर्तन किया जाएगा।
भस्म आरती के लिए गाइडलाइन जारी
महाकाल मंदिर में होली के दिन होने वाली भस्म आरती के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की गई है। इस दिन सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलेगा।
- सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती में कम श्रद्धालु शामिल हो सकेंगे।
- मंदिर परिसर में गुलाल के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा।
- पुजारियों को केवल हर्बल गुलाल ही दिया जाएगा।
- श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पिछले साल हुई घटना को ध्यान में रखते हुए इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
महाकाल की आरती के समय में बदलाव
होली के बाद महाकाल मंदिर में आरतियों के समय में परिवर्तन होगा।
- भस्म आरती – सुबह 4:00 बजे (समय अपरिवर्तित)।
- बाल भोग आरती – सुबह 7:00 बजे (पहले 7:30 बजे थी)।
- भोग आरती – सुबह 10:00 बजे (पहले 10:30 बजे थी)।
- संध्या पूजन – शाम 5:00 बजे।
- संध्या आरती – शाम 7:00 बजे।
- शयन आरती – रात 10:30 बजे।
ठंडे जल से स्नान करेंगे महाकाल
- 15 मार्च से भगवान महाकाल का अभिषेक ठंडे जल से किया जाएगा।
- चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है, इसलिए यह परंपरा निभाई जाती है।
- साल में दो बार इस परंपरा में बदलाव किया जाता है।
पिछले साल होली पर लगी थी आग
पिछले साल 25 मार्च को भस्म आरती के दौरान महाकाल मंदिर के गर्भगृह में आग लग गई थी। इस हादसे में 14 लोग झुलस गए थे, जिनमें से 9 को इंदौर रेफर किया गया था। 79 वर्षीय सेवक सत्यनारायण सोनी की मौत हो गई थी। आग की वजह आरती के दौरान गुलाल उड़ना बताया गया था। इस बार सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गुलाल के उपयोग को सीमित किया गया है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
- श्रद्धालुओं की संख्या सीमित की गई है।
- मंदिर परिसर में अग्निशमन यंत्र तैनात किए गए हैं।
- हर्बल गुलाल का ही उपयोग होगा।