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ऑनलाइन सट्टेबाजी और फ्रॉड से मप्र को सैकड़ों करोड़ की चपत

आईटी एक्ट में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं होने से हो रही साइबर धोखाधड़ी

भोपाल। मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में अवैध रूप से फैल चुके ऑनलाइन बेटिंग (सट्टा) कारोबार पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार सख्त कानून बनाने में जुटी है। लाखों करोड़ के रिवेन्यू के इस ऑनलाइन सट्टे पर मौजूदा आईपीसी के जुआ एक्ट में ही कार्रवाई का प्रावधान है। आयकर अधिनियम में भी स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। ऑनलाइन सट्टेबाजी और अन्य साइबर फ्रॉड से मध्यप्रदेश को हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए की चपत लग रही है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) और डायरेक्टोरेट ऑफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) जैसी संस्थाएं भी इस मामले में तोड़ ढूंढ रही हैं। इसके लिए फाइनेंशियल फॉरेंसिक टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों को भी तैनात किया गया है। मप्र में ऑनलाइन फ्रॉड और इनवेस्टमेंट-बेटिंग के चलते रिवेन्यू को हो रहे नुकसान पर रीजनल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस कमेटी भी चर्चा कर चुकी है। हर 2-3 महीने में होने वाली इस बैठक में केंद्र और राज्य सरकार की जांच एजेंसियां शामिल होती हैं। आयकर विभाग और साइबर पुलिस के सूत्रों का कहना है कि ऐसी गतिविधियां मौजूदा कानून की लूप होल का लाभ उठा रही हैं। मौजूदा कानून में सख्त प्रावधान नहीं हैं। ऑनलाइन गेमिंग पर केंद्र सरकार ने नियम-कानून अपडेट कर 28 फीसदी जीएसटी लागू की है, लेकिन अवैध ऑनलाइन बेटिंग के चलते भारी- भरकम राशि देश के बाहर जा रही है। ऑनलाइन सट्टेबाजी और धोखाधड़ी के मामलों से देश में हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक आपराधिक कृत्य की श्रेणी में लाने की कवायद चल रही है।

देश के बाहर कंट्रोल होने से टैक्स चोरी आसान

आयकर सूत्रों का कहना है कि यदि किसी संस्था अथवा संगठन का प्रबंधन/ कंट्रोल देश के बाहर है तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आता। कई देशों के साथ भारत की दोहरी कर मुक्ति सहमति संबंधी करार है। कानूनों में मौजूद बचने के रास्तों से ऑनलाइन सट्टेबाज देश की मुद्रा बाहर ले जा रहे हैं। सरकार को टैक्स का नुकसान हो रहा है। बेटिंग की लत में कई युवा और बेरोजगार बर्बादी के शिकार हैं।

देश से बाहर भेजने के लिए क्रिप्टो में कन्वर्ट कर रहे राशि:

साइबर पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों का मानना है कि ‘गेम ऑफ स्किल’ के खेल अपराध की श्रेणी में नहीं। लेकिन ‘गेम ऑफ चांस’ के नाम पर पैसों का दांव सट्टेबाजी की श्रेणी में है। ज्यादातर मामले में बैंक एकाउंट देशी होता है, जैसे ही उसमें राशि जमा हुई वह क्रिप्टो में कन्वर्ट होकर देश के बाहर चली जाती है। मामले में मनी लांड्रिंग का अपराध भी बनता है।1111बदल लेते हैं लोकेशन : साइबर पुलिस का कहना है कि ऐसे सट्टेबाजों के आईपी एड्रेस आमतौर पर चीन, हांगकांग और थाईलैंड आदि के मिलते हैं। पूरा कारोबार एपीके फाइल एंड्रायड पैकेज पर चल रहा है। पकड़े जाने पर इंटरनेट सर्वर पर लोकेशन बदलती रहती है।

युवाओं को बना रहे एडिक्ट

साइबर पुलिस के पास हर दिन ऑनलाइन धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें आ रही हैं। इंटरनेट पर ढेरों ऐसे एंड्रायड ऐप मौजूद हैं, जो युवा और बेरोजगारों को रातोंरात लखपति -करोड़पति बनाने का लालच देकर ऑनलाइन बेटिंग की लत लगा रहे हैं।

100 करोड़ से ज्यादा की चपत

ऑनलाइन धोखाधड़ी और सट्टेबाजी के मामले बढ़ रहे हैं। सट्टेबाजी में लोग स्वेच्छा से फंसते हैं। ऐसे फाइनेंशियल फ्रॉड्स में मप्र को करीब 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की चपत लग रही है। ऑनलाइन गेमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से नियमों में संशोधन हुआ है। -योगेश देशमुख, एडीजी साइबर पुलिस मप्र

वैध-अवैध आमदनी, टैक्स के दायरे में आती है

आईटी एक्ट के अनुसार किसी भी भारतीय की आमदनी अथवा देश के भीतर होने वाली वैध- अवैध आय टैक्स के दायरे में आती है। ऑनलाइन बेटिंग और अन्य गतिविधियां भी इसी श्रेणी में हैं। -आरके पालीवाल, पूर्व प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर आयकर विभाग मप्र-छग

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