(रामचन्द्र पाण्डेय) भोपाल। कोरोना संक्रमण का सर्वाधिक असर स्कूली शिक्षा पर पड़ा है। इसको देखते हुए सरकार ने अधिक से अधिक बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ने के लिए शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी थी। इन शिक्षकों को घर-घर जाकर अभिभावकों को बच्चों का दाखिला कराने के लिए प्रेरित करना था। इसका असर आदिवासी जिलों- बड़वानी, झाबुआ, छिंदवाड़ा के अलावा छतरपुर जैसे छोटे जिलों में काफी दिख रहा है।
यहां पहली से आठवीं तक के स्कूलों में लक्ष्य से 90 प्रतिशत से अधिक दाखिले हुए हैं। वहीं, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर जैसे महानगरों के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटी है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आदिवासी अंचलों से बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में बड़े शहरों में जाते हैं। कोरोना काल में ये घर लौटे तो दोबारा नहीं गए। वहीं बेरोजगारी और आर्थिक संकट के कारण काफी लोगों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिलाया है। इस वजह से छोटे शहरों में एडमिशन बढ़े हैं।
पिछड़े जिलों में एडमिशन बढ़ने और बड़े जिलों में घटने की मुख्य वजह…
- छतरपुर: डीईओ एसके शर्मा ने बताया कि जिले के 106 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास चल रही हैं। दूसरा कोरोना काल में लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी। इन वजहों से पैरेंट्स ने बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन कराया है।
- झाबुआ : स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक ज्ञानेन्द्र ओझा ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को घर-घर भेजकर 5 साल तक के बच्चों का सरकारी स्कूलों में प्रवेश कराने की मुहिम चलाई, इससे लोगों में जागरुकता बढ़ी है।
- बड़वानी : तत्कालीन डीईओ अर्जुन सिंह ने बताया कि यह आदिवासी बहुल जिला है। जिले से महाराष्ट्र व गुजरात की सीमा लगी हुई है। वहां से कोरोना के कारण मजदूर लौटे। इसलिए सरकारी स्कूलों में बच्चों की सख्या बढ़ी है।
- भोपाल : डीईओ नितिन सक्सेना का कहना है कि राजधानी में आदिवासी अंचलों के अलावा अन्य प्रदेशों से मजदूर काम करने के लिए आते हैं। वह कोरोना की पहली लहर में चले गए थे और फिर बाद में वापस नहीं आए।
- ग्वालियर : डीईओ विकास जोशी के अनुसार कोरोना के कारण काम-धंधा बंद होने से मजदूर अपने गांव चले गए थे, जो दोबारा नहीं लौटे। बच्चों के गांव चले जाने के कारण एडमिशन का प्रतिशत कम हुआ है। हालांकि, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस के कारण सरकारी स्कूलों में प्रवेश अधिक हुए हैं।
- जबलपुर : डीईओ घनश्याम सोनी ने बताया कि जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में नए एडमिशन की संख्या में काफी कमी आई है। इसकी वजह यह है कि कोरोना काल में मजदूर वर्ग के जो लोग गांव गए, वह लौटकर नहीं आए।
सरकारी स्कूलों में एक से आठवीं कक्षा तक एडमिशन की स्थिति
छोटे जिले…
जिला |
टारगेट |
एडमिशन |
प्रतिशत |
छतरपुर |
2,26,612 |
2,17,964 |
96.2% |
बड़वानी |
1,50,639 |
1,42,305 |
94.5% |
झाबुआ |
1,80,665 |
1,66,315 |
92.1% |
छिंदवाड़ा |
1,81,151 |
1,65,352 |
91.3% |
महानगर…
जिला |
टारगेट |
एडमिशन |
प्रतिशत |
ग्वालियर |
98,963 |
86,466 |
87.4% |
जबलपुर |
1,37,337 |
1,18,454 |
86.3% |
इंदौर |
1,03,040 |
86,155 |
83.6% |
भोपाल |
78,735 |
63,906 |
81.2% |
स्रोत : स्कूल शिक्षा विभाग