
संतोष चौधरी-भोपाल। राजधानी में शराब के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें शराब दुकानें ढूंढने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। जिले की सभी 87 लाइसेंसी शराब दुकानों की लोकेशन गूगल पर मिलेगी। इससे आबकारी विभाग और लाइसेंसी ठेकेदारों को फायदा होगा। इससे आबकारी विभाग को कामकाज में भी सहूलियत होगी। इतना ही नहीं विभाग को डेटाबेस तैयार करने में भी आसानी होगी। हालांकि यह प्रयोग पिछले साल राजस्थान में किया जा चुका है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, आबकारी अमले ने बुधवार से भोपाल जिले की सभी 87 शराब दुकानों की जियो टैगिंग का काम शुरू कर दिया है। पहले दिन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक खरे ने जिला सहायक आबकारी अधिकारी (एडीईओ) और अन्य अमले को जियो टैगिंग के बारे में ट्रेनिंग दी। इसके बाद यह अमला इन दुकानों की टैगिंग करने पहुंचा। पहले दिन एक दर्जन दुकानों की टैगिंग की गई। एक सप्ताह के दौरान सभी दुकानों की टैगिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।
अधिकारियों की निगरानी : वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इससे फील्ड स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त निगरानी रखी जा सकेगी। दुकानों का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों द्वारा किए जा रहे निरीक्षण कार्यों का सत्यापन भी हो सकेगा। इसके अलावा अवैध कार्यों में लिप्त लाइसेंसधारकों और विक्रेताओं की कार्य प्रणाली के विरुद्ध मौके पर ही कार्रवाई करने में भी आसानी रहेगी।
विभागीय कामकाज में होगी सहूलियत
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके जरिए दो दुकानों के बीच की दूरी आसानी से पता चल जाएगी। परमिट के दौरान शराब की आवाजाही भी अधिकारी आसानी से देख सकेंगे। उनका कहना है, सख्ती के बावजूद कई लाइसेंसी ठेकेदार गड़बड़ी का प्रयास करते हैं। इस पर प्रभावी अंकुश लग सकेगा। आबकारी अफसरों पर यह आरोप लगते रहते हैं कि शराब दुकानें धार्मिक स्थल और शैक्षणिक संस्थाओं के पास खोल दी गई है। जियो टैगिंग से आसपास की लोकेशन को देखा जाएगा।