
महाकुंभ जा रहे श्रद्धालुओं को फिर से भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। रविवार को एमपी-यूपी बॉर्डर के चाकघाट इलाके में करीब 15 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। हालात तब और बिगड़ गए जब तीन ट्रेनें रद्द हो गई, जिससे श्रद्धालुओं को घंटों तक रीवा स्टेशन के बाहर और रेलवे ओवरब्रिज पर तेज धूप में बैठना पड़ा। दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालु काफी परेशान नजर आए। साथ ही उन्होंने प्रशासन को अव्यवस्था का कारण बताया।
प्रशासन लगातार श्रद्धालुओं की सुरक्षा में जुटी है- डीआईजी
हालात को देखते हुए डीआईजी साकेत पांडे का कहना है कि ‘वीकेंड की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या एक बार फिर बढ़ गई है। पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। सड़कों पर तैनात पुलिस और प्रशासन लगातार श्रद्धालुओं की हर तरह की चिंता कर रही है।’ दरअसल, अब महाकुंभ खत्म होने में केवल 10 दिन बचे है। ऐसे में भगदड़ के अन्य मामले भी सामने आ सकते हैं।
वीकेंड पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
रविवार दोपहर तक करीब 5 हजार गाड़ियां रीवा पहुंच चुकी थीं, लेकिन श्रद्धालुओं को घंटों जाम खुलने का इंतजार करना पड़ा। वीकेंड की वजह से शनिवार रात से ही रीवा होकर प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तीन गुना बढ़ गई थी। इसका असर ये हुआ कि रीवा शहर में जाम की गंभीर स्थिति बन गई। खासतौर पर चोरहटा बाईपास पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यात्रियों ने प्रशासन की व्यवस्था को फेल बताया
कर्नाटक से प्रयागराज जा रहे यात्री कीरपा कारदाने ने बताया कि ‘1500 किलोमीटर का सफर तय करके रीवा पहुंचे, यह सोचकर कि आसानी से प्रयागराज निकल जाएंगे, लेकिन रीवा शहर में एंट्री तक नहीं हो पाई। पूरे रास्ते कहीं नहीं फंसे, लेकिन मध्यप्रदेश और यूपी के बॉर्डर पर आकर मुश्किल में पड़ गए। प्रशासन की व्यवस्था पूरी तरह से फेल नजर आई और इसमें सुधार की जरूरत है।’
वहीं नासिक से आए महेश शिंदे ने भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि ‘दो घंटे से जाम में फंसे हैं, तेज धूप और पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। साथ में महिलाएं हैं, लेकिन जाम के कारण गाड़ी से उतर पाना भी मुश्किल है। लगातार हॉर्न और शोर की वजह से मानसिक तनाव हो रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे प्रयागराज पहुंचने से पहले ही बीमार पड़ जाएंगे।’ उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि इससे अच्छा तो यात्रा पर आते ही नहीं।