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गिट्टी, पत्थर खदान की लीज के साथ मिलेगा एम-सेंड प्लांट लगाने का लाइसेंस

खनिज विभाग बना रहा है एम-सेंड नीति, 40% तक अनुदान देगी सरकार

अशोक गौतम-भोपाल। पर्यावरण और नदियों के संरक्षण के लिए सरकार एम-सेंड (मैन्यूफेक्चर्ड सैंड यानी पत्थर से बनने वाली रेत) को बढ़ावा दे रही है। इससे नदियों से रेत लेने की निर्भरता कम होगी। इसके साथ ही बारिश के दौरान घर बनाने वालों को सस्ती रेत मिलेगी। सरकार एम-सेंड नीति तैयार कर रही है, यह नीति अगले माह बनकर तैयार हो जाएगी। इसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर ली गई है।

सूत्रों के अनुसार अब गिट्टी, पत्थर की खदान की लीज और क्रशर संचालित करने का लाइसेंस लेने वालों को एम-सेंड प्लांट लगाने के लिए सरलता से लाइसेंस मिल जाएगा। गिट्टी, पत्थर की पुरानी खदानों के संचालन की भी अनुमति मिलेगी। इसके लिए सिर्फ एक आवेदन देना होगा। उद्योग विभाग प्लांट लगाने पर 40 फीसदी की छूट देगा।

खनिज साधन विभाग ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रॉयल्टी में भी छूट दी है। इस तरह की रेत में 50 रुपए प्रति घन मीटर न्यूनतम कीमत रखी है। जबकि नदियों से निकलने वाली रेत खदानों के लिए 250 रुपए प्रति घन मीटर न्यूनतम कीमत रखी गई है। नदियों से निकाली गई रेत की कीमतें ठेकेदार पर निर्भर है। ठेकेदार जितनी महंगी रेत खदानें लेगा उतनी ही महंगी रेत बेचेगा। वर्तमान में कई जगह रेत तीन सौ रुपए घनमीटर तक रेत मिलती है। जबकि एम-सेंड में इसका प्रभाव नहीं होता है।

हर साल सवा करोड़ घन मीटर रेत की डिमांड

प्रदेश में प्रति वर्ष सवा करोड़ घन मीटर रेत की जरूरत होती है। सरकार ने प्रदेश के 44 जिलों में स्थित 1,093 रेत खदानों से 3 करोड़ 11 लाख घन मीटर रेत तीन वर्ष के अंदर निकालने के लिए अनुबंध किया है। इसमें सबसे ज्यादा 64 लाख घन मीटर रेत नर्मदापुरम जिले में स्थित रेत खदानों से निकाली जाती है।

बेहतर विकल्प है एम-सेंड

नदियों से निकलने वाली रेत से एमसेंड बेहतर होती है। इसमें मिट्टी नहीं होती है। इसकी पकड़ भी मजबूत होती है। बिल्डर और कारोबारी मुकेश यादव के अनुसार एम-सेंड मिट्टी-धूल नहीं होने के कारण सीमेंट से पकड़ मजबूत होती है। एम-सेंड के दाने बराबर होते हैं, इससे प्लास्टर और फ्लोरिंग के लिए उपयोगी है।

कारोबारी भी खुश

रेत, गिट्टी, पत्थर और क्रशर से जुड़े कारोबारी भी एम-सेंड उद्योग को फायदे का सौदा मान रहे हैं। उन्होंने इस बारे में पॉजिटिव फीडबैक दिया है। तीन साल पहले शुरू हुए एमसेंड के लाइसेंस में अब तक भोपाल, कटनी, जबलपुर सहित कई जिलों में 75 संयंत्र स्थापित कर दिए गए हैं। पिछले वर्ष एम-सेंड से सरकार को 4 करोड़ रुपए रॉयल्टी मिली थी।

बाजार में एम-सेंड की डिमांड ज्यादा है। इसकी क्वालिटी नदियों की रेत से बेहतर होती है। इसकी रेत सस्ती भी है। प्रदूषण भी नहीं होता है। सरकार भी इस उद्योग को प्रमोट करने में लगी है। -रुचिर जैन, एम-सेंड कारोबारी, छतरपुर

पर्यावरण और नदियों को बचाने के लिए एम-सेंड पर जोर दिया जा रहा है। कोल और ग्रेनाइट की खदानों के संचालन से पहले उनसे बहुत सारे पत्थर निकलते हैं। इसके एम-सेंड बनाने में उपयोग होगा। इसके अलावा गिट्टी, पत्थर के खदान संचालकों को इसके उद्योग लगाने पर सुविधा दी जाएगी। प्रदेश में एम-सेंड नीति भी तैयार की जा रही है। -अनुराग चौधरी, संचालक, खनिज साधन विभाग

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