
नई दिल्ली। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडाणी गुप की सभी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है। एलआईसी और एसबीआई के शेयर भी गिरे। ग्रुप में लगे एलआईसी के करीब 81 हजार करोड़ रुपयों में 18 हजार करोड़ की कमी आई है। एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा का पैसा भी घटा है। इस बीच, कांग्रेस ने अडाणी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच आरबीआई और सेबी से कराने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि अडाणी ग्रुप को एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसी सरकारी संस्थाओं ने वित्तपोषित किया है। ताजा आरोपों के बीच देश की वित्तीय प्रणाली जोखिम में पड़ सकती है।
LIC का 81,268 करोड़ निवेश
अडाणी ग्रुप की कंपनी में LIC और SBI का भी काफी पैसा लगा है। पिछले दो वर्षों में एलआईसी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया है। बाजार के जानकारों के मुताबिक 24 जनवरी को अडाणी ग्रुप में एलआईसी का निवेश 81,268 करोड़ रुपए था, जो 27 जनवरी को घटकर 62,621 करोड़ रुपए गया। यानी, जनता के 18,647 करोड़ रुपए महज दो दिनों में डूब गए।
एलआईसी के शेयरों में 3.25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इनके अलावा एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयरों में भी गिरावट रही।
अडाणी की किस कंपनी में LIC की कितन हिस्सेदारी
कंपनी | शेयर होल्डिंग |
अडानी एंटरप्राइजेज | 4.23 प्रतिशत |
अडानी ट्रांसमिशन | 3.65 प्रतिशत |
अडानी पोर्ट | 9.14 प्रतिशत |
अडानी टोटल गैस | 5.96 प्रतिशत |
अंबुजा सीमेंट | 6.33 प्रतिशत |
एसीसी | 6.41 प्रतिशत |
ग्रुप के PM मोदी से करीबी रिश्ते
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि इस कारोबारी समूह और पीएम मोदी मोदी के बीच नजदीकी रिश्ते हैं और इस ग्रुप को इसका फायदा हुआ है। उन्होंने कहा- आमतौर पर राजनीतिक दलों को किसी कंपनी या कारोबारी समूह के बारे में आई किसी रिसर्च रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए, लेकिन अडाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च के फॉरेँसिक अध्ययन पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया जरूरी है, क्योंकि अडाणी ग्रुप कोई सामान्य ग्रुप नहीं है। यह नरेंद्र मोदी के सीएम रहने के दौरान उनका करीबी रहा है। जो आरोप लगे हैं उनकी जांच व्यापक जनहित में रिजर्व बैंक और सेबी जैसी संस्थाओं द्वारा की जानी चाहिए जिन पर भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
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