
सागर। उत्तर वन मंडल के वन परिक्षेत्र बंडा के भरतपुर डिलोना क्षेत्र वन कक्ष क्रमांक 275 की खदानों के पास जंगल से लगे खेत के कटीले तार फेंसिंग में शुक्रवार को तेंदुआ फस गया। जानकारी मिलते ही मौके पर वन विभाग की टीम पहुंची। तेंदुए को सुरक्षित निकालने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व से टीम बुलाई गई। कई घंटे की मशक्कत के बाद तेंदुए काे सुरक्षित निकाल लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि तीन बार ट्रेंकुलाइज करने के बाद भी वह बेहोश नहीं हुआ। इस वजह से वन अमले को ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। मौके पर वन विभाग के एसडीओ सहित वन अमला तेंदुए पर नजर रखे रहे। वन विभाग को तेंदुए के फंसे होने की जानकारी सुबह मिली, जिसके बाद विभाग सक्रिय हुआ।
दूसरी बार फेंसिंग में फंसा तेंदुआ
तार फेंसिंग में तेंदुए के फसने की यह दूसरी घटना है। इससे पहले मालथौन वन परिक्षेत्र की बीट अटा टीला में भी यही स्थिति बनी थी। हालाकि, मुकुंद रिजर्व एरिया से आई टीम ने तेंदुए को सुरक्षित निकालकर नौरादेही के जंगल में छोड़ दिया था। इसके बाद 10 दिन बाद यह घटना सामने आ गई।
तेंदुआ पूरी तरह सुरक्षित
वन विभाग के एसडीओ मंगल सिंह चौहान ने बताया कि तेंदुआ पूरी तरह से सुरक्षित है। उसे बाहर निकालने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम बुलाई गई है। तेंदुए को लेकर सामने आए वीडियो में तेंदुआ तार फेंसिंग से बाहर निकलने के लिए जीवन के लिए संघर्ष करता दिख रहा है। वह तार से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रहा है, लेकिन वह निकलने में कामयाब नहीं हो पा रहा है। वहीं, दूसरे वीडियो में वह सुरक्षित बैठा दिख रहा है।
लगातार हो रही घटनाएं
जिस तरह से तार फेंसिंग में लगातार तेंदुए के फसने की घटनाएं सामने आ रही हैं, इससे वन विभाग की जानवरों की सुरक्षा की पोल खुल गई है। प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि आखिर जंगल में इस तरह फेंसिंग करने की जरूरत क्या है, जबकि यह सभी को पता है कि जंगल वन्यप्राणी के विचरण करने का क्षेत्र है। जब उनके स्थान भी लोग सुरक्षित नही करेंगे तो फिर इस तरह की घटना सामने आना कोई बड़ी बात नही है।
(सागर से अनिल दुबे की रिपोर्ट)