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90-100 दिन में तैयार होगी मसूर, प्रति एकड़ 17.50 क्विंटल देगी उपज

सीहोर कृषि कॉलेज ने तैयार की मसूर की नई किस्म आरवीएल 15-4 इसके दानों का वजन भी ज्यादा

ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के वैज्ञानिक ने मसूर की नई वैरायटी आरवीएल 15-4 तैयार की है। इसकी खासियत यह है कि यह 90 से 100 दिन में ही तैयार हो जाती है और उत्पादक क्षमता प्रति हेक्टेयर 17.50 क्विंटल है। इसके सौ दानों का वजन 2.55 ग्राम है। किसानों को अगले साल बीज उपलब्ध हो जाएंगे। कृषि कॉलेज सीहोर के डॉ. लेखराम ने मसूर की नई किस्म आरवीएल 15-4 तैयार की है। इससे पहले वर्ष 2019 में मसूर की आरवीएल 13-5, 13- 7 किस्में आई थीं। इन दोनों किस्मों की परिपक्वता अवधि 110 दिन थी। मगर तीन साल बाद आई आरवीएल 15-4 किस्म 100 दिन में ही तैयार हो जाएगी। इस किस्म की अच्छी बात यह है कि यह उकठा (सूखा) रोग के प्रति सहनशील है। इसके बीज बड़े हैं और पौधा मध्यम ऊंचा, पत्तियां बड़े आकार की हैं। आरवीएल 15-4 की यह विशेषता इसे अंतर फसल के लिए उपयुक्त बनाती है।

वैरायटी की खासियत

  • सूखे रोग की प्रति सहनशील
  • सौ दानों का वजन 2.55 ग्राम
  • पौधा मध्यम आकार का
  • पत्तियां चौड़े आकार की

कृषि कॉलेज सीहोर के वैज्ञानिक डॉ. लेखराम ने मसूर की नई वैरायटी आरवीएल 15-4 तैयार की है। इस किस्म की खासियत 90 से 100 दिन में तैयार होने की है। यह प्रति हेक्टेयर 17.50 क्विंटल उपज देगी। डॉ. संजय शर्मा, डीआरएस कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर

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