
पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। मध्यप्रदेश सोयाबीन, चना, उड़द, मसूर, अलसी, टमाटर और लहसुन उत्पादन में देश में अव्वल है। लेकिन, इन उत्पादों में व्यापार और रोजगार बढ़ाने के लिए 55 साल पहले (मार्च 1969) गठित स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (कंपनी) कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया है। जबकि महाराष्ट्र और केरल राज्य कृषि उद्योग में काफी आगे हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जापान यात्रा और भोपाल में होने जा रही ग्लोबल इंवेस्टर समिट से प्रदेश में कृषि आधारित उद्योगों के लिए बड़े निवेश की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
वहीं महालेखाकार ने प्रदेश में कृषि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अपनी रिपोर्ट में कई सुझाव दिए हैं। हालांकि इसके पहले इंदौर में आलू एवं प्याज के प्रसंस्करण के लिए संयंत्र स्थापित करने के प्रयास किए जा चुके हैं।
कृषि उद्योगों को बढ़ावा देने बनी थी 10 साल पहले नीति
प्रदेश में कृषि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक संवर्धन नीति 2014 बनाई। इसमें प्रावधान किया गया कि 10 साल की अवधि के लिए शत-प्रतिशत बिक्री कर में छूट मिलेगी। अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने 5 लाख रुपए तक सब्सीडी। बिजली की खपत पर उत्पादन शुरू होने की तारीख से पांच साल के लिए 1 रुपए प्रति इकाई की रियायती दर, फिर भी बड़े प्लान नहीं आए।
असफलता के उदाहरण
- यंत्रीकृत कृषि फार्म बाबई होशंगाबाद नई कृषि मशीनरी के साथ किसानों को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित नहीं।
- 9 केंद्रों की 69% भूमि अनुपयोगी।
- रखरखाव के अभाव में 90 बायो गैस संयंत्रों में से 23 चालू नहीं।
- जैव उर्वरक संयंत्र भोपाल में बिक्री 2015-16 में197.96 लाख से घटकर 2019-20 में 64.12 लाख रह गई।
इन फसलों में मध्यप्रदेश आगे
- प्रथम: सोयाबीन, चना, उड़द, तुअर, मसूर, अलसी, टमाटर, लहसुन।
- दूसरा: हरी मटर, तिल, रामतिल, मूंग, प्याज, मक्का
- तीसरा: गेहूं, जौ, धनिया, मिर्च
- चौथा स्थान: संतरा
- स्त्रोत-उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, किसान कल्याण एवं कृषि विकास और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड।
महाराष्ट्र और केरल में कृषि आधारित कई इकाइयां
- महाराष्ट्र कृषि उद्योग विकास निगम: ‘नोगा ब्रांड’ नाम से नागपुर में खाद्य प्रसंस्करण का संचालन। आम, अनानास, टमाटर एवं संतरे का प्रसंस्करण।
- केरल कृषि उद्योग निगम: आम का रस, अचार का उत्पादन। फसल कटाई के बाद वायनाड में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण। सिर्फ यह प्रमुख काम
- एमपी एग्रो के पास काम: कृषि उपकरणों ड्रिप, स्प्रिंकलर, पौध संरक्षण, छोटे उद्यान संबंधी उपकरण, ट्रेक्टर एवं शक्ति चालित उपकरण की आपूर्ति
- वर्मी कंपोस्ट तथा भारत सरकार की बायो गैस योजना का संचालन। (खबर का स्त्रोत:सीएजी रिपोर्ट)
कैग ने कहा-बागवानी उपज को भी दिया जाए बढ़ावा
नवीनतम कृषि मशीनरी, खेती के तरीकों का प्रदर्शन एवं आधुनिक खेती के तरीकों पर प्रशिक्षण देना, बागवानी उपज बढ़ाना। प्री कूलिंग अथवा कोड स्टोरेज और गोदामों का विकास। खाद्य प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग इकाइयों की स्थापना तथा कृषि उपज के घरेलू और साथ ही विदेशी व्यापार। सीएजी ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा भी है कि एमपी एग्रो के पास कृषि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्लान नहीं है।
एमडी से संपर्क नहीं
कृषि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एमपी एग्रो के आगामी प्लान को लेकर नवागत एमडी अरविंद दुबे से कई बार संपर्क किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।