ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

गोवंश और मवेशियों को सड़कों से हटाने बजट की कमी

बजट में प्रावधान नहीं, मंत्री ने कलेक्टरों से कहा- 5-5 लाख की व्यवस्था, सरकार से मांगें राशि

अशोक गौतम-भोपाल। गो वंश को स्टेट और नेशनल हाइवे से हटाने में बजट की कमी आड़े आ रही है क्योंकि इसके लिए सरकार ने बजट कोई प्रावधान नहीं किया है। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा कर कहा है कि प्रत्येक जिले के लिए पांच-पांच लाख रुपए तक का बजट रखा है, वे सरकार से डिमांड कर सकते हैं। सरकार ने स्टेट हाइवे और नेशनल हाइवे से गोवंश को हटाने के लिए जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों को सौंपी है। इसकी शुरुआत विदिशा-रायसेन जिले से की गई है। यह काम पशुपालन विभाग के अमले के माध्यम से कराया जा रहा है। हालात ये हैं कि अमले और वाहनों की कमी से कर्मचारी मवेशियों को बस सड़कों से हटाकर दूर खदेड़ देते हैं। कुछ देर बाद फिर मवेशी सड़कों पर जमा हो जाते हैं। इससे समस्या जस की तस रहती है।

गोशालाएं और कांजी हाउस का अभाव

जिले में जितने गोवंश और मवेशी सड़कों पर भ्रमण करते हैं उसके हिसाब से न तो कांजी हाउस हैं और न ही गोशालाएं हैं। इससे वहां क्षमता से ज्यादा गोवंश अथवा मवेशी को कांजी हाउस अथवा गोशालाओं रखा जा रहा है। और तो और, वहां तक उसके चारा -पानी की व्यवस्थाएं भी करनी होती है। इसके साथ ही वहां पर उनके देख रेख के लिए कर्मचारियों और लेबर की जरूरत होती है। इसमें हजारों रुपए रोज खर्च हो रहा है ।

ये है स्थिति

  • 1289 गोशाला सीएम गोसेवा योजना के तहत संचालित, इनमें 1.27 लाख पशु हैं।
  • 627गोशाला स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा संचालित, इनमें  1.99 पशुओं को आश्रय मिला है।

5-5 लाख का प्रावधान

गोवंश को सड़कों से हटाने के लिए प्रत्येक जिले को सरकार से बजट मांगने के लिए कहा है। इसके लिए प्रत्येक जिले के लिए पांच- पांच लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। -लखन सिंह पटेल, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पशुपालन एवं डेरी विभाग

बना रहे हैं व्यवस्थाएं

गोवंश को सड़कों से हटाने के लिए काम हो रहा है। इसके लिए व्यवस्थाएं भी बनाई जा रही हैं। इसके लिए अलग से राशि नहीं मिलने से यह काम पशु कल्याण समिति के मद से किया जा रहा है। -अरविंद दुबे, कलेक्टर, रायसेन

पन्ना जिले के झिन्ना गोशाला संचालक से सुनिए समस्या

पशुपालन एवं डेयरी विभाग का अमला सड़कों से जो गोवंश का पकड़कर गोशालाओं में लाते हैं, उसके लिए बजट नहीं देते हैं। कुछ दिन गोशालाओं में उन्हें रखने के बाद छोड़ दिया जाता है। सरकार सिर्फ उन्हीं गोवंशों के लिए राशि देती है, जिसकी टैगिंग करती है। वैसे भी सड़कों से पकड़े गए सभी गोवंशों को रखने की जगह गोशालाओं में नहीं होती है। वैसे गोशालाओं में असहाय, बेसहारा और बीमार गोवंश को रखने की व्यवस्था होती है। -महंत टप्पे गिरी, संचालक, श्रीरामअसहाय चैरीटेविल जन सोसायटी झिन्ना, जिला पन्ना

संबंधित खबरें...

Back to top button