
कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया में हुए आम चुनावों में लेबर पार्टी ने एक बार फिर से बड़ी जीत दर्ज की है। अब तक की मतगणना के अनुसार कुल 150 में से 87 सीटों पर लेबर पार्टी ने जीत हासिल की है, जबकि सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ा 76 सीटों का है। दूसरी ओर, विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन को महज 34 सीटें ही मिली हैं। इससे स्पष्ट है कि एंथनी अल्बनीज दोबारा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
दो दशक बाद कोई प्रधानमंत्री लगातार दूसरी बार चुना गया
यह पहली बार है जब पिछले 21 वर्षों में कोई नेता लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहा है। इससे पहले 2004 में लिबरल पार्टी के जॉन हावर्ड लगातार दूसरी बार चुने गए थे। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ अल्बनीज ने ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में एक मजबूत छवि स्थापित की है।
विपक्ष ने मानी हार, डटन ने ली जिम्मेदारी
चुनाव में करारी हार के बाद विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन के नेता पीटर डटन ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा, “हमने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।”
तीन साल में एक बार होते हैं चुनाव
ऑस्ट्रेलिया में हर तीन साल पर आम चुनाव होते हैं। इस बार 28 मार्च 2025 को संसद भंग कर दी गई थी, जिसके बाद सरकार केयरटेकर मोड में चली गई। 22 से 30 अप्रैल के बीच पोस्टल वोटिंग की गई, और 3 मई को आम मतदान हुआ। ऑस्ट्रेलिया में 18 साल या उससे अधिक उम्र के सभी नागरिकों के लिए मतदान करना अनिवार्य होता है। मतदान न करने पर 20 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगाया जाता है।
दो सदनों वाला है ऑस्ट्रेलियाई संसद व्यवस्था
ऑस्ट्रेलिया में भारत की तरह द्विसदनीय संसद है। निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स और ऊपरी सदन को सीनेट कहा जाता है। निचले सदन की 150 सीटों के लिए ही प्रधानमंत्री चुना जाता है। इस बार इन सीटों के साथ-साथ सीनेट की 76 में से 40 सीटों के लिए भी चुनाव हुए, जहां हर तीन साल में आधे सदस्य बदले जाते हैं और हर सदस्य का कार्यकाल 6 साल का होता है।
ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री बनने के लिए कोई न्यूनतम उम्र सीमा तय नहीं है। जो भी व्यक्ति 18 साल का है और वोट डाल सकता है, वह चुनाव भी लड़ सकता है और प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में भी शामिल हो सकता है।
ये भी पढ़ें- भोपाल : फिर 5 हजार करोड़ का कर्ज ले रही मोहन सरकार, एमपी पर कुल कर्ज 4.21 लाख करोड़, 29 हजार करोड़ चुकाया जाएगा ब्याज