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मप्र के जिलों में प्रभारी मंत्रियों का इंतजार

निर्णय चुनाव तक टलने की संभावना, योजनाओं की समीक्षा अटकी

भोपाल। मध्यप्रदेश में नई सरकार बने ढाई महीने हो रहे लेकिन मंत्रियों के बीच जिलों के प्रभार अब तक नहीं बंट पाए। मंत्रिमंडल की शपथ को दो महीने हो चुके हैं। प्रभारी मंत्री न होने से जिला स्तर पर शासन की योजनाओं को गति देने और प्रशासन में कसावट लाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा। सत्ता-संगठन के नेता अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि प्रभार के जिलों का फैसला लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा। प्रदेश के 55 जिलों में मंत्रियों की जवाबदारी तय न होने से उनका फोकस अपने क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गया है। जिला परियोजनाओं की समीक्षा का काम पिछड़ने लगा है। विकास संबंधी योजनाओं और अन्य मुद्दों की नियमित मॉनिटरिंग की ड्यूटी प्रभारी मंत्री की ही रहती है। बड़े जिलों पर नजर: बड़े जिलों पर सबकी नजरें लगी हैं, मंत्रियों को वरिष्ठता के आधार पर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर-रीवा जैसे बड़े जिलों की कमान सौंपी जाती है। मंत्रियों की संख्या को देखते हुए प्रदेश में जिलों की संख्या ज्यादा है। कुछ मंत्रियों को एक से ज्यादा जिलों का प्रभार दिया जाएगा।

प्रभारी मंत्री नियुक्त नहीं होने से यह की गई व्यवस्था

31 मार्च को खत्म हो रहे वित्त वर्ष के पहले सांसदों और विधायकों को मिलने वाली जनसंपर्क निधि के उपयोग को लेकर नया आदेश हुआ है। इसके लिए प्रभारी मंत्री की ओर से राशि जारी करने का प्रावधान है। अब प्रभारी मंत्री के पावर कलेक्टरों को ट्रांसफर किए गए हैं। हर विधानसभा के लिए सांसदों और विधायकों को मिलने वाली जनसंपर्क निधि की राशि के वितरण के पावर सामान्य प्रशासन विभागद्वारा कलेक्टरों को दिए गए हैं। अब कलेक्टर सांसदों और विधायकों की ओर से जनसंपर्क निधि के अंतर्गत राशि आवंटित को लेकर की जाने वाली अनुशंसा के आधार पर राशि वितरण का निर्णय ले सकेंगे।

ये काम हो रहे प्रभावित

प्रभार के जिलों का वितरण न होने से जिला विकास परियोजनाओं की समीक्षा बैठकें नहीं हो पा रहीं। हर महीने प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में जिले की अन्य समस्याओं का निराकरण हो जाता है। ऐसे मामले भी अटकें हैं। जिला स्तर पर होने वाले तबादलों में प्रभारी मंत्री की मंजूरी लगती है। जियोस का पदेन अध्यक्ष प्रभारी मंत्री और सचिव कलेक्टर रहते हैं।

यह है प्रभारी मंत्री का काम

  1. शासन की योजनाओं को जिला स्तर पर गति देना।
  2. योजनाओं की मॉनिटरिंग और नियमित समीक्षा।
  3. जिला प्रशासन के कामों पर नजर रख कसावट बनाए रखना।
  4. जिला स्तर पर तबादलों की मंजूरी।
  5. स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं का निराकरण भी प्रभारी मंत्री कर सकते हैं।

तारीखों में नई सरकार

03 दिसंबर: विधानसभा चुनाव नतीजे.

11 दिसंबर: विधायक दल के नेता चुना

13 दिसंबर: सीएम डॉ मोहन यादव और दो डिप्टी सीएम की शपथ.

25 दिसंबर: 28 मंत्रियों की शपथ

30 दिसंबर: मंत्रियों को विभाग वितरण.

31 सदस्यीय मोहन मंत्रिमंडल में अभी दो डिप्टी सीएम और 28 मंत्री हैं।

चुनाव तक टलेगा निर्णय

सत्ता-संगठन के सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के बीच प्रभार के जिले बांटना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। पार्टी हाईकमान की सहमति के बाद ही यह निर्णय होगा। लोकसभा चुनाव को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में जातीय, क्षेत्रीय और विभागीय समीकरण को ध्यान में रख कर ही प्रभार बंटेंगे।

प्रभारी मंत्रियों से भरपाई

55 जिलों में से जिन जिलों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है ऐसे जिलों की भरपाई प्रभारी मंत्रियों से होगी। 29 लोस क्षेत्रों में भी एक-एक मंत्री को प्रभार सौंपने का मापदंड बनाया गया है।

उचित समय पर करेंगे निर्णय

मंत्रियों के बीच जिलों का प्रभार वितरण मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। समय आने पर आवश्यकतानुसार उचित निर्णय लिया जाएगा। – डॉ हितेष वाजपेयी प्रवक्ता मप्र भाजपा 

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