
भोपाल/श्योपुर। चीतों की लगातार हो रही मौतों के कारण मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क सुर्खियों में बना हुआ है। कूनो में अब तक 5 चीतों और 3 शावकों की मौत हो चुकी है। इसी हफ्ते में मंगलवार और शुक्रवार को ही 2 नर चीतों (तेजस और सूरज) की मौत हुई थी। इसी बीच कूनो से एक और बड़ी खबर सामने आ रही है। पार्क के 3 और चीते में संक्रमित पाए गए हैं, जिसने वन विभाग की नींद उड़ा दी है।
चीते ओबान के घाव में पड़े कीड़े
कूनो नेशनल पार्क में 3 और चीते के संक्रमित पाए जाने से हड़कंप मच गया है। जानकारी के मुताबिक, तीन चीते में से ओबान नाम का चीता पकड़ में आया है। ओबान को जब बेहोश कर उसके शरीर पर लगे कॉलर आईडी को हटाया गया तो वन अधिकारी भौंचक्के रह गए, चीते के शरीर पर गहरा जख्म हो गया था। इतना ही नहीं चीते के शरीर पर मिले गहरे घाव में कीड़े तक पड़ चुके। फिलहाल, उसका इलाज किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि बाकी के 2 संक्रमित चीते एल्टन और फ्रेडी को ट्रैप कर बेहोश करने की कोशिश जारी है, ताकि समय रहते उसका उपचार किया जा सके।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) July 18, 2023
साउथ अफ्रीकी एक्सपर्ट जांच के लिए आएंगे कूनो
कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए दक्षिण अफ्रीका से विशेषज्ञ को बुलाया गया है। साउथ अफ्रीका के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट माइक टॉफ्ट मंगलवार को चीतों की जांच के लिए कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे। इसके बाद ही चीतों के स्वास्थ्य और लगातार हो रही मौतों के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है।
कॉलर आईडी पर उठे सवाल
कूनो के चीता प्रोजेक्ट पर गंभीर संकट छा गया है। अब चीतों के गले में लगाए गए कॉलर आईडी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। दावा किया जा रहा है कि रेडियो कॉलर के कारण चीते सेप्टीसीमिया के शिकार हो रहे हैं।
दरअसल, सेप्टीसीमिया एक गंभीर ब्लड इंफेक्शन होता है और इससे खून में जहर बनने लगता है। बताया जाता है कि जानवरों के शरीर के बाहरी हिस्से में लंबे समय तक नमी बने रहने के कारण संक्रमण होने लगता है और ये सेप्टीसीमिया का रूप ले लेता है। दक्षिण अफ्रीकी एक्सपर्ट ने दावा किया था कि चीतों की गर्दन में जो रेडियो कॉलर पहनाया गया है, उसके कारण तेजस और सूरज चीतों को सेप्टीसीमिया हो गया और उनकी मौत हो गई।
अब तक 5 चीते और तीन शावक की मौत
कूनो नेशनल पार्क में अब तक दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए कुल 20 चीतों में से अब तक यह 8 वीं मौत है। इसके अलावा यहां पैदा हुए 5 शावक में से तीन शावक भी दम तोड़ चुके हैं।
जानें कब-कब हुई मौतें
- सबसे पहले 27 मार्च 2023 को मादा चीता साशा की मौत हुई थी। साशा की मौत किडनी इन्फेक्शन से हुई।
- 23 अप्रैल 2023 को साउथ अफ्रीका से लाए गए नर चीता उदय की मौत हुई थी।
- 9 मई 2023 को मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत हो गई थी। दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था।
- 23 मई 2023 को मादा चीता ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई।
- 25 मई 2023 को मादा चीता ज्वाला के दो और शावकों ने दम तोड़ दिया था।
- 11 जुलाई 2023 को एक और चीते तेजस की मौत हो गई।
- 14 जुलाई 2023 को चीते सूरज की मौत हो गई।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए चीते
भारत में चीतों की आबादी को फिर से बसाने के लिए 8 चीतों को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को इन्हे विशेष बाड़ों में छोड़ा। इनमें 5 मादा और 3 नर चीते शामिल थे। इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते (7 नर और 5 मादा) कूनो नेशनल पार्क में लाए गए थे।
कूनो में चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी, लेकिन 8 मौतों के बाद यह संख्या घटकर 16 रह गई है। इससे पहले भारत में चीतों को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।