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Kumbh Sankranti 2025 : कब है कुंभ संक्रांति, जानें महत्व और सूर्य को अर्घ्य देने का सही नियम

Kumbh Sankranti 2025ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यदेव के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रान्ति कहा जाता है। कुंभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। आगामी 13 फरवरी को सूर्यदेव मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। अतः इस दिन कुंभ संक्रान्ति का पर्व भगवान सूर्यनारायण की पूजा-अर्चना के साथ संपन्न किया जाएगा।

कुंभ संक्रांति कब है ?

कुंभ संक्रांति 12 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।

कुम्भ संक्रान्ति पुण्य काल – 12:12 PM से 05:50 PM

अवधि – 05 घण्टे 38 मिनट

कुम्भ संक्रान्ति महा पुण्य काल – 03:57 PM से 05:50 PM

अवधि – 01 घण्टा 53 मिनट

कुम्भ संक्रान्ति का क्षण – 10:04 PM

संक्रान्ति करण : विष्टि, बव

संक्रान्ति नक्षत्र : अश्लेशा

कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त – 04:53 ए एम से 05:44 ए एम
  • प्रातः सन्ध्या – 05:18 ए एम से 06:35 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त – कोई नहीं
  • विजय मुहूर्त – 02:05 पी एम से 02:50 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त – 05:47 पी एम से 06:13 पी एम
  • सायाह्न सन्ध्या – 05:50 पी एम से 07:06 पी एम
  • अमृत काल – 05:55 पी एम से 07:35 पी एम
  • निशिता मुहूर्त – 11:47 पी एम से 12:37 ए एम, फरवरी 13

कुंभ संक्रांति का महत्व

कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सूर्य को अर्घ्य देने और उनकी स्तुति करने से बल, तेज और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इससे सभी पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों को भोजन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना चाहिए। कुंभ राशि के स्वामी शनि देव हैं, इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना भी शुभ माना जाता है। शनि देव को तेल, तिल और काले वस्त्र अर्पित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

कुंभ संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देने का सही नियम

कुंभ संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देना बहुत ही शुभ माना जाता है। यहां सूर्य को अर्घ्य देने का सही नियम दिया गया है-

  • कुंभ संक्रांति के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर यह न हो सके तो गंगाजल को पानी में मिलाकर स्नान कर लें।
  • साफ वस्त्र धारण करें।
  • एक तांबे का लोटा लें।
  • लोटे में जल, तिल, दूर्वा, अक्षत (चावल), लाल फूल, कुमकुम, और थोड़ा सा गुड़ डालें।
  • यदि संभव हो तो लोटे में थोड़ा सा गंगाजल भी डालें।

अर्घ्य देने की विधि-

  • सूर्य देव को अर्घ्य देते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।
  • लोटे को अपने सिर से थोड़ा नीचे की ओर रखें।
  • धीरे-धीरे जल गिराते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्रों का जाप करें। आप “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • आप सूर्य चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं।
  • अर्घ्य देने के बाद भगवान सूर्य को प्रणाम करें।
  • घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान सूर्य को प्रणाम करें।
  • पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।

कुंभ संक्रांति के दिन क्या करें-

  • सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
  • सूर्य को अर्घ्य दें।
  • भगवान विष्णु और शनि देव की पूजा करें।
  • गरीबों को दान करें।
  • तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

कुंभ संक्रांति के दिन क्या न करें-

  • किसी भी प्रकार का नशा न करें।
  • झूठ न बोलें।
  • किसी को भी अपशब्द न कहें।
  • क्रोध न करें।
  • मांस और मदिरा का सेवन न करें।

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