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केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई फांसी की सजा, भारत ने हर संभव कानूनी मदद का दिया आश्वासन

नई दिल्ली। केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है, जिसे यमन के राष्ट्रपति मोहम्मद अल-अलीमी ने भी मंजूरी दे दी है। निमिषा 2017 से यमन की जेल में बंद हैं और उनके परिवार द्वारा किए गए सभी कानूनी और राजनयिक प्रयास अब तक विफल रहे हैं। वहीं, मंगलवार को निमिषा प्रिया के मामले में भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार निमिषा प्रिया के मामले की जानकारी रख रही है और उन्हें हर संभव कानूनी मदद दी जाएगी।

फांसी के लिए राष्ट्रपति की मिली मंजूरी

निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी को 2017 में दवा की ओवरडोज देकर हत्या कर दी थी। इस मामले में उन्हें 2018 में दोषी ठहराया गया और 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। उनकी सजा के खिलाफ यमन के सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की गई, जिसे 2023 में खारिज कर दिया गया। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हो गया है।

भारत सरकार ने जारी किया बयान

निमिषा प्रिया के मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय की पूरी नजर है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान दिया कि निमिषा प्रिया के मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय की नजर है। उन्हें हर संभव कानूनी मदद दी जाएगी। सरकार इस मामले में हर संभव मदद मुहैया करा रही है।

ब्लड मनी पर बातचीत असफल

यमन के कानून के अनुसार, पीड़ित परिवार से माफी और ब्लड मनी देकर मौत की सजा को टाला जा सकता था। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने पीड़ित परिवार से बातचीत की कई कोशिशें कीं। हालांकि, वकील की फीस और फंडिंग में पारदर्शिता की कमी के कारण यह बातचीत असफल रही। भारतीय दूतावास ने वकील की फीस के लिए करीब 19,871 डॉलर की व्यवस्था की थी, लेकिन कुल 40,000 डॉलर की मांग ने मुश्किलें बढ़ा दीं।

अब जबकि राष्ट्रपति ने फांसी की सजा को मंजूरी दे दी है, निमिषा के पास अंतिम विकल्प ब्लड मनी या यमन के राष्ट्रपति से दया याचिका था। हालांकि, ब्लड मनी पर बातचीत विफल होने और राष्ट्रपति द्वारा अपील खारिज करने के बाद उम्मीदें लगभग खत्म हो गई हैं।

2008 में यमन गई थीं निमिषा

निमिषा 2008 में यमन गई थीं और 2015 में सना में क्लिनिक शुरू करने से पहले वहां के अस्पतालों में काम किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, क्लिनिक खोलने के लिए उन्होंने तलाल अब्दो महदी की मदद ली थी, क्योंकि यमन के कानून के तहत विदेशी नागरिक अकेले क्लिनिक नहीं खोल सकते। लेकिन दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।

महदी ने न केवल निमिषा के फंड में हेराफेरी की, बल्कि उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और शादी की तस्वीरों में हेरफेर कर उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की। निमिषा ने महदी से अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाया, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण महदी की मौत हो गई।

यमन गृह युद्ध की चपेट में आ गईं निमिषा

निमिषा प्रिया के पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए थे, जब यमन में गृहयुद्ध शुरू हो गया था। निमिषा अकेली यमन में रह गईं और वहां की परिस्थितियों में फंस गईं। परिवार ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर महदी द्वारा निमिषा के शारीरिक और आर्थिक शोषण के आरोप लगाए थे।

निमिषा के परिवार और दोस्तों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील की है। “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” ने क्राउडफंडिंग के जरिए मदद जुटाने की कोशिश की थी। हालांकि, पारदर्शिता के मुद्दों ने इस प्रयास को कमजोर कर दिया।

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