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Monkeypox : एक और मरीज… क्या भारत में बढ़ रहा MPox का खतरा? केंद्र ने जारी की नई एडवाइजरी

कोच्चि। भारत में वायरल इंफेक्शन मंकीपॉक्स (MPox) का खतरा बढ़ता नजर आ रहा है। केरल में MPox का दूसरा मरीज मिला है। राज्य के एर्नाकुलम इलाके के निवासी की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है, 29 साल का युवक हाल ही में UAE से लौटा था। तेज बुखार आने पर उसकी जांच की गई, जिसमें MPox की पुष्टि हुई। भारत में मंकीपॉक्स का यह तीसरा मामला है। केरल स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, व्यक्ति की हालत स्थिर है और उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

अभी स्ट्रेन का पता नहीं चला है। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में उसके सैंपल जीनोमिक सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि मरीज MPox के खतरनाक और तेजी से फैलने वाले क्लैड-1बी स्ट्रेन से संक्रमित है या नहीं।

भारत में अब तक MPox के तीन मरीज

9 सितंबर : देश में मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला था। हरियाणा के हिसार में एक 26 साल के युवक में पुराना स्ट्रेन क्लैड-2 पाया गया था। वो विदेश से लौटा था, उसे 8 सितंबर को आइसोलेशन में रखा गया था। जब सैंपल जांच के लिए भेजे गए तो उसमें मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।

18 सितंबर : भारत में MPox का दूसरा और क्लेड-1बी स्ट्रेन का पहला मरीज मिला था। केरल के मलप्पुरम में 38 साल का संक्रमित मरीज UAE से लौटा था। उसने 17 सितंबर को खुद को आइसोलेट कर लिया था।

27 सितंबर : भारत में मंकीपॉक्स का तीसरा और केरल में दूसरा मरीज मिला। 29 साल का युवक UAE से केरल के एर्नाकुलम लौटा था। तेज बुखार होने पर उसकी जांच की गई, जिसमें MPox की पुष्टि हुई। अभी स्ट्रेन का पता नहीं चला है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के मामलों को लेकर राज्यों को एडवाइजरी जारी कर दी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि, मंकीपॉक्स के मामले सामने न आए, इसके लिए राज्यों को हेल्थ एक्शन लेना चाहिए। सभी राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करने को भी कहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। दो साल में यह दूसरी बार है जब मंकीपॉक्स को लेकर WHO ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। देश में कोविड-19 का पहला मामला भी केरल में ही आया था।

क्या है मंकीपॉक्स?

  • मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
  • अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे।
  • दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।
  • मंकीपॉक्स को लेकर इंग्लैंड की एजेंसी यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने कहा है कि अब मंकीपॉक्स का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने लगा है।

क्या हैं इसके लक्षण?

  • मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
  • मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
  • मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
  • बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।

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