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हर-हर महादेव… श्रद्धालुओं के लिए खुले केदारनाथ धाम के कपाट, 6 महीने तक भक्त कर पाएंगे बाबा के दर्शन

देहरादून। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार, 2 मई 2025 की सुबह 7 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलते ही भक्तों ने मंदिर के गर्भगृह में जल रही अखंड ज्योति के दर्शन किए। इस दौरान रुद्राभिषेक, शिवाष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और केदाराष्टक का पाठ किया गया।

सबसे पहले पहुंचे वीरशैव लिंगायत समुदाय के रावल

कपाट खुलते ही सबसे पहले कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के मुख्य रावल भीमशंकर लिंग पहुंचकर पूजा-अर्चना में शामिल हुए। इसके बाद बाबा पर चढ़े 6 महीने पुराने भीष्म शृंगार को हटाया गया।

क्या होता है बाबा का भीष्म शृंगार?

  • भीष्म शृंगार की प्रक्रिया कपाट बंद होते समय की जाती है, जिसमें:
  • शिवलिंग पर मौसमी फल और सूखे मेवे (आर्घा) चढ़ाए जाते हैं।
  • एक से 12 मुखी रुद्राक्ष की मालाएं पहनाई जाती हैं।
  • शिवलिंग को सफेद कॉटन के कपड़े से ढका जाता है।
  • 6 लीटर घी का लेपन कर ठंड में संरक्षण किया जाता है।
  • कपाट खुलने पर यह शृंगार सिर्फ आधे घंटे में हटाया जाता है। फिर शिवलिंग को पंचामृत, गोमूत्र, दूध, शहद से स्नान कराकर फूल, चंदन और भस्म से सजाया जाता है।

पहले दिन कम रही भीड़, कमरे भी खाली

हालांकि पहले दिन 11 हजार श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन गौरीकुंड के 1500 में से 1100 कमरे ही भरे थे। होटल व्यवसायियों का कहना है कि इस बार पहले दिन बीते वर्षों जैसी भीड़ नहीं रही।

टोकन सिस्टम से दर्शन, 2500 लोग मौजूद

धाम में इस वक्त करीब 2500 श्रद्धालु मौजूद हैं। भीड़ को मैनेज करने के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है, जिसमें यात्रियों को स्लॉट के अनुसार दर्शन करवाए जा रहे हैं। इस साल जून से अगस्त के बीच मौसम ठीक रहा तो करीब 25 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई गई है।

हेलिकॉप्टर सेवा भी शुरू

सोनप्रयाग से हेलिकॉप्टर सेवा शुरू की गई है। IRCTC से ऑनलाइन बुकिंग और डीएम ऑफिस से ऑफलाइन टिकट मिल रहे हैं। ऑपरेटर के अनुसार मौसम साफ रहा तो रोज 25-30 उड़ानें होंगी और हर दिन 150 से ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच सकेंगे।

मंदिर में मोबाइल पर पाबंदी

इस बार केदारनाथ मंदिर परिसर के 30 मीटर के दायरे में मोबाइल फोन का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। कोई रील या फोटो शूट करते पाया गया तो उसका मोबाइल जब्त कर ₹5000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

कपाट बंद होने पर भी जलती रहती है दीपक की लौ

हर साल जब केदारनाथ के कपाट बंद होते हैं, तो मंदिर में एक दीपक जलाकर पुजारी लौट जाते हैं। यह दीपक बिना बुझे 6 महीने तक जलता रहता है। जब मंदिर दोबारा खुलता है, तो साफ-सफाई भी वैसी ही मिलती है, जैसी बंद करते समय की गई थी।

4 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट

चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। अब 4 मई को चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल जाएंगे, जिसके बाद यात्रा पूरे जोरों पर होगी।

CM धामी ने कही श्रद्धालुओं की सुरक्षा की बात

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, “हमने यह सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो। सुरक्षा, ट्रैफिक और क्राउड मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है।”

केदारनाथ का धार्मिक महत्व

केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंदिर 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। यहां शिव बैल की आकृति में विराजते हैं, जिसे पांडवों से जुड़ी कथा से जोड़ा जाता है।

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