
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल्ला में शुक्रवार को ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर खीर भवानी मेला शुरू हो गया है। उत्सव मनाने के लिए बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पहुंच रहे हैं। श्रीनगर शहर से 27 किलोमीटर दूर तुलमुल्ला स्थित धार्मिक स्थल पर सांप्रदायिक सौहार्द का द्दश्य देखने को मिला।5 हजार से अधिक पंडित कड़ी सुरक्षा के बीच बसों में जम्मू से गांदरबल पहुंचे।
इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों और गांदरबल जिले के आसपास के गांवों से कई लोगों ने खीर भवानी या तुलमुल्ला में रागन्या देवी मंदिर में पूजा की। पिछले दिनों हुए आतंकी हमलों के बवाजूद बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित बिना किसी डर और खौफ के शामिल हुए। मंदिर के आसपास सहित पूरे जिले में सुरक्षाबलों की तैनाती है।
मंदिर के पास सैकड़ों दीपक जलाए
भक्तों ने ‘‘ज्येष्ठ अष्टमी” उत्सव के अनुष्ठान के रूप में मंदिर के पास सैकड़ों दीपक जलाए और रात भर प्रार्थनाओं में भाग लिया तथा जम्मू-कश्मीर की शांति और समृद्धि की कामना की। मंदिर में दर्शन के लिए आई एक महिला ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘कश्मीर इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि यह हमारा जन्मस्थान है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जो धार्मिक उत्साह में लोकप्रिय है।” उन्होंने कहा, ‘‘यह रेशी और पीर की भूमि है और इसी धरती पर नुंद रेशी, लालदेद और माता महा रग्न्या देवी जैसे कई बड़े नाम हैं जो यहां तुलमुल्ला मंदिर में हैं।”

घाटी में काम करने वालों ने भी किए दर्शन
मंदिर में पूजा करने के लिए जम्मू से आई एक अन्य महिला निसा पंडित ने कहा , ‘‘हमें उम्मीद है कि सभी लोग समृद्ध होंगे और शांतिपूर्वक पूजा संपन्न करेंगे और सभी एक साथ रहेंगे।” उन्होंने कहा,‘‘यह यहां के लोगों से मिलने का अवसर था, लेकिन उन्होंने कहा कि इस बार कम संख्या में लोग मंदिर आए हैं। जब हम बचपन में यहां आते थे तो भारी भीड़ होती थी।” इस अवसर पर कश्मीर घाटी में काम करने वाले गैर-स्थानीय लोगों को भी मंदिर में आते जाते देखा गया।
लोगों ने किया कश्मीरी पंडितों का स्वागत
मंदिर पहुंचने पर यहां बहुसंख्यक समुदाय के लोगों ने कश्मीरी पंडितों का स्वागत किया। परंपरागत रूप से पंडितों ने उन मुसलमान बंधुओं से पूजा सामग्री खरीदी जिन्होंने मंदिर के पास अपने स्टॉल लगाए थे। तुलमुला का झरना अपने बदलते रंगों के लिए प्रसिद्ध है। भक्तों का कहना है कि वसंत ऋतु सात रंग बदलती है। उनका मानना है कि काला या लाल अच्छा शगुन नहीं है जबकि नीला, सफेद और गुलाबी जैसे हल्के रंग भविष्य के लिए शुभ संकेत देते हैं।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई
अधिकारियों ने आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए माकूल व्यवस्था की है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। कई राजनेताओं ने भी तुलमुल्ला का दौरा किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने खीर भवानी का दौरा किया और वहां पूजा-अर्चना की। मीडियाकर्मियों से बात करते हुए श्री फारूक ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे समुदाय के भाई-बहन यहां पहुंचे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि वे कश्मीर वापस आएं और यहीं रहें।” इसके अलावा ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कई सामाजिक और राजनीतिक नेताओं ने भी कश्मीरी पंडितों को मेला खीर भवानी की शुभकामनाएं दी हैं।
कश्मीरी पंडितों की मां भवानी हैं कुल देवी
श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर गांदेरबल जिले के ठुलमुल इलाके में हर साल की तरह आज भी माता भवानी के जन्म दिन पर एक बहुत बड़ा मेला लगता है। कश्मीरी पंडितों में मां भवानी को कुल देवी माना जाता है। आज के दिन देश के कोने-कोने से कश्मीरी पंडित यहां आ कर माता के जल स्वरुप की पूजा करते हैं।