कासगंज। उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी 2018 को हुए दंगे और ABVP कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की हत्या के मामले में लखनऊ NIA कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शुक्रवार को जस्टिस विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने इस मामले में दोषी करार दिए गए 28 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। यह सजा लगभग सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद चंदन गुप्ता के परिजनों को मिली है।
6 साल बाद मिला इंसाफ
26 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस के मौके पर कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान चंदन गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद कासगंज में हालात बेकाबू हो गए थे। प्रशासन को इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी थीं और करीब एक हफ्ते तक दंगे का माहौल बना रहा।
एनआईए कोर्ट ने सुनाया फैसला
इस मामले में NIA कोर्ट ने गुरुवार को 28 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इनमें से सलीम नाम का एक आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुआ था, जिसने शुक्रवार को सरेंडर किया। कोर्ट ने शुक्रवार को सलीम समेत सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। जस्टिस विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने कहा कि दोषियों के अपराध ने समाज को गहरे तक प्रभावित किया है और इस मामले में सख्त सजा देना जरूरी था। चंदन गुप्ता की हत्या के बाद उनके परिजनों ने इंसाफ के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। चंदन के पिता ने इस फैसले को चंदन की आत्मा की शांति के लिए एक बड़ा कदम बताया।
दिसंबर 2018 में पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट
कासगंज हिंसा के मामले में दिसंबर 2018 में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। इस केस में मुख्य आरोपी तीन भाई सलीम, वसीम और नसीम को बनाया गया। 2019 में ट्रायल शुरू हुआ। 24 जनवरी 2019 को मृतक चंदन गुप्ता की बहन कीर्ति को लोकमित्र के पद पर नियुक्त किया गया, लेकिन 5 जुलाई 2019 को उन्हें इस पद से हटा दिया गया।
2020 में वसीम और नसीम को जमानत पर रिहा कर दिया गया। परिवार की अपील के बाद केस नवंबर 2021 में लखनऊ की एनआईए कोर्ट में स्थानांतरित हुआ। कुल 31 आरोपियों में से दो लोगों नसरुद्दीन और असीम कुरैशी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि एक आरोपी अजीजुद्दीन की मौत हो चुकी है। बाकी 28 आरोपियों को दोषी करार दिया गया।
इनमें 26 आरोपी लखनऊ जेल में बंद हैं, मुनाजिर कासगंज जेल में और मुख्य आरोपी सलीम ने शुक्रवार को एनआईए कोर्ट में सरेंडर किया।
क्या हुआ था उस दिन
26 जनवरी 2018 को कासगंज में विश्व हिंदू परिषद, एबीवीपी और हिंदू युवा वाहिनी के करीब 100 कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकाली। रैली में चंदन गुप्ता भी शामिल था। प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी, फिर भी ये लोग मुस्लिम आबादी वाले बड्डू नगर की गली में जाने की जिद करने लगे, जहां गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम चल रहा था।
जिसके बाद दोनों पक्षों में नारेबाजी और पथराव हुआ। एक गोली चंदन गुप्ता को लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। इस खबर के बाद कासगंज में दंगे भड़क उठे। बाजार बंद कराए गए और पुलिस-प्रशासन ने हालात पर काबू पाया। तत्कालीन सांसद राजवीर सिंह और आईजी मौके पर पहुंचे। पोस्टमॉर्टम के बाद चंदन का शव शाम सात बजे उसके घर लाया गया।
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