
बॉलीवुड की क्वीन और हिमाचल प्रदेश से लोकसभा सांसद बनीं कंगना रनौत ने हाल ही में राजनीति को लेकर अपनी बेबाक राय रखी है। टाइम्स नाउ और ऑल इंडिया रेडियो (AIR) को दिए गए इंटरव्यू में कंगना ने बताया कि उन्हें राजनीति में आकर बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है, लेकिन यह काम उतना आसान नहीं है जितना उन्होंने सोचा था। उन्होंने सांसद की जिम्मेदारियों, वेतन और जमीनी समस्याओं को लेकर खुलकर अपनी बात रखी।
पॉलिटिक्स इतनी डिमांडिंग जॉब है, मुझे अंदाजा नहीं था
कंगना ने स्वीकार किया कि राजनीति एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है और इसमें जितनी मेहनत व समय लगता है, उसकी उन्हें कल्पना नहीं थी। उन्होंने कहा, “शुरुआत में मुझे लगा था कि मैं फिल्मों और राजनीति दोनों को साथ में संभाल लूंगी, लेकिन अब महसूस हो रहा है कि यह बेहद डिमांडिंग जॉब है।”
राजनीति को बताया महंगा शौक
कंगना रनौत ने सांसदों की सैलरी को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जो तनख्वाह सांसदों को मिलती है, उससे घर चलाना और कामकाज संभालना बेहद मुश्किल होता है। उन्होंने कहा, “रसोइया और ड्राइवर की सैलरी देने के बाद मुश्किल से 50-60 हजार रुपए बचते हैं। सांसदों को 1 लाख 24 हजार रुपए मिलते हैं, लेकिन अगर किसी सरकारी अफसर के साथ दौरे पर जाना हो, तो उसमें लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। ऐसे में यह एक महंगा शौक है।”
लोग सांसद को भी नाली और सड़क जैसी शिकायतें लेकर आते हैं
AIR को दिए इंटरव्यू में कंगना ने बताया कि लोगों की उम्मीदें सांसद से बहुत अलग होती हैं। उन्होंने कहा, “मैं महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ी हूं, लेकिन राजनीति में लोगों की समस्याएं अलग होती हैं। कोई नाली टूटी होने की शिकायत करता है, कोई सड़क की। जबकि ये पंचायत या राज्य सरकार का काम है, लेकिन लोगों को फर्क नहीं पड़ता, वे सीधे आपके पास आते हैं।”
मेरे बैकग्राउंड में समाज सेवा नहीं रही है
कंगना ने यह भी कहा कि उनका बैकग्राउंड फिल्मों का रहा है और समाज सेवा उनके जीवन का हिस्सा कभी नहीं रही। कंगना ने कहा, “यह काम एकदम अलग है और मुझे इसकी आदत डालनी पड़ रही है। मैं ये नहीं कह सकती कि इसमें मजा आ रहा है। यह एक सेवा भाव का कार्य है।”
कांग्रेस ने किया हमला- काम नहीं आता तो इस्तीफा दें
कंगना के बयानों को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। हिमाचल प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, “राजनीति करना कंगना रनौत जैसी एक्ट्रेस के बस की बात नहीं है। अगर वह अपना काम नहीं कर पा रही हैं, तो इस्तीफा दे दें। यह कोई शौक नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है।”