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पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। प्रदेश का आईएफएस अधिकारियों का कॉडर मैनेजमेंट गड़बड़ा गया है। 5 साल पहले प्रमोशन पाने की होड़ में वरिष्ठ स्तर के पदों की संख्या बढ़ाने की मंजूरी ली जाती रही, लेकिन केंद्र सरकार से उस अनुपात में आईएफएस अफसर प्रदेश को नहीं मिले । लिहाजा समय पर पदोन्नति नहीं होने से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ), मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) और वन संरक्षक के पद लगातार खाली हैं।
अब सरकार ने सामाजिक वानिकी में मुख्य वन संरक्षक के पदों पर डीएफओ पदस्थ किए हैं। कई अफसरों को 200-200 किमी के वन मंडल प्रभार में दिए गए हैं। विभाग के लिए सबसे बड़ी समस्या अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पदों की है। कॉडर में 25 में से 8 पदभरे हैं। वित्त/बजट, वन भूमि रिकॉर्ड, आदि शाखाएं इस समय डबल प्रभार में हैं।
वरिष्ठ स्तर पर औसतन हर दो माह में अधिकारी सेवानिवृत हो रहे हैं। इसके चलते एक अफसर के पास तीन-तीन शाखाओं का प्रभार है। एचयू खान के पास कैंपा के साथ दूसरे विभाग भी हैं।
पीसीसीएफ प्रशासन एक और वन बल प्रमुख से संपर्क नहीं हो सका लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 1997 से 2006-07 तक प्रदेश को दो-तीन आईएफएस मिलते थे, लेकिन वर्ष 2022 मेें 15 और 2023 कैडर में 17 अफसर मिले हैं।
हमारे पास जितने वर्षों की सेवा चाहिए उसके लिए पर्याप्त अधिकारी नहीं हैं। इसलिए पद खाली हैं। यह समस्या कई साल तक बनी रहेगी। मैदानी स्तर पर अधिकारी कम होने से कुछ हद तक काम तो प्रभावित होता है। -असीम श्रीवास्तव, वन बल प्रमुख मप्र