इंदौर। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता सुमित्रा महाजन ने कहा कि यूनियन कार्बाइड के 337 टन जहरीले कचरे का निपटारा वैज्ञानिकों के विस्तृत अध्ययन और चर्चा के आधार पर किया जाना चाहिए। ताई ने यह बात इंदौर से 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर में कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया को लेकर उठ रहे जनप्रतिनिधियों के विरोध के बीच कही है।
कचरे का निपटारा आवश्यक है, लेकिन…
सुमित्रा महाजन ने संवाददाताओं से कहा, “भोपाल गैस त्रासदी का भयावह मंजर आज भी हमें झकझोर देता है। कचरे का निपटारा आवश्यक है, लेकिन यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इसे किस तरह से नष्ट किया जाएगा।” उन्होंने इस विषय को राजनीतिक मुद्दा न बनाने की अपील करते हुए कहा कि यह जनता के जीवन से जुड़ा मामला है।
महाजन ने सुझाव दिया कि वैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों के साथ चर्चा के बाद ही कचरे का निपटान किया जाना चाहिए। “यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया पर्यावरण, भूमि और जल स्रोतों पर कोई दुष्प्रभाव न डाले।”
गैस त्रासदी के प्रभावों का जिक्र
महाजन ने कहा कि भोपाल के लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी गैस त्रासदी के दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। “यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कचरे के निपटान से पीथमपुर या उसके आसपास किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय या स्वास्थ्य संकट न उत्पन्न हो।”
जीतू पटवारी ने कहा- आसपास के क्षेत्रों में कैंसर का खतरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मुद्दे पर सुमित्रा महाजन से उनके इंदौर निवास पर मुलाकात की। उन्होंने महाजन से आग्रह किया कि वे पीथमपुर में कचरे को नष्ट किए जाने की प्रक्रिया रुकवाने में मदद करें। पटवारी ने दावा किया कि विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रक्रिया से पीथमपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। सरकार को विशेषज्ञों के अनुभव का लाभ उठाते हुए इस मामले के संभावित नुकसान और अन्य पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।
पटवारी ने कहा, “हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहते। लेकिन जब तक विशेषज्ञों का स्पष्ट अभिमत नहीं आता, तब तक कचरे के निपटान पर रोक लगनी चाहिए।”
जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई
पटवारी ने चेतावनी दी कि पूर्व के अनुभवों के अनुसार, जहरीला कचरा जलाने के परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि अगर इसे जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई, तो इसका निकट भविष्य में यशवंत सागर पर नकारात्मक असर हो सकता है। यशवंत सागर का पानी इंदौरवासियों की जरूरतें पूरी करता है, इसलिए इस मुद्दे पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
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