
मुकेश झा, जबलपुर। मंडला के नारायणगंज से 30 जनवरी 2022 को शुरू हुई जन विकास यात्रा शुक्रवार दोपहर ढाई बजे जबलपुर पहुंची। यहां कमिश्नर कार्यालय के बाहर आदिवासी बहुत के लोगों ने प्रदर्शन किया। वे जल-जंगल और जमीन से जुड़े मुद्दों से संबंधित ज्ञापन कमिश्नर को देना चाहते थे, लेकिन उन्हें पता चला कि कमिश्नर अपने केबिन में नहीं हैं। इस पर वे भड़क गए और जमकर नारेबाजी की।
जल-जंगल जमीन किसी से नहीं बांटेंगे
विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी, जल, जंगल-जमीन जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर मंडला नारायणगंज से पैदल जन विकास यात्रा विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले के नेतृत्व में निकाली गई। 30 जनवरी से शुरू हुई यात्रा शुक्रवार दोपहर जबलपुर कमिश्नर ऑफिस पहुंची। इस जन विकास यात्रा में सैकड़ों की तादात में आदिवासी बहुल क्षेत्र के नागरिक शामिल थे। यात्रा में अधिकांश लोग पीले रंग के वस्त्र पहनकर पहुंचे थे, जो सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। आंदोलनकारियों की मांग थी कि जल – जंगल और जमीन किसी भी तरह से बांटी नहीं जाएगी। प्रदर्शन को देखते हुए कमिश्नर कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।
#जबलपुर : #जन_विकास_यात्रा 3 फरवरी को कमिश्नर कार्यालय पहुंची। #मंडला से पैदल चलकर आ रही जन विकास यात्रा ने दोपहर कमिश्नर कार्यालय पहुंच कर घेराव किया। इसमें क्षेत्रीय विधायक भी शामिल हैं।@Ashokmarskole51 @INCMP @OfficeOfKNath @jbpcommissioner #PeoplesUpdate pic.twitter.com/5HktexYF9y
— Peoples Samachar (@psamachar1) February 3, 2023
आंदोलनकारियों ने घेरी सड़क
जन विकास यात्रा जैसे ही कमिश्नर कार्यालय के बाहर पहुंची वैसे ही आंदोलन शुरू हो गया। प्रदर्शनकारी सड़क पर ही बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। लोग हाथों में बैनर – पोस्टर लिए शासन- प्रशासन को कोस रहे थे। सड़क पर आंदोलनकारी होने के कारण लोगों को आने – जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
विधायकों के जुड़ने से आई आंदोलन में ऊर्जा
जन विकास यात्रा का नेतृत्व विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले कर रहे थे। जेसे ही यात्रा ने जबलपुर सीमा में प्रवेश किया, वैसे ही जबलपुर के तीन विधायक और इसमें शामिल हो गए। इस वजह से आंदोलन में और ऊर्जा आ गई। जबलपुर के कांग्रेस महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी
यात्रा के साथ आए आंदोलनकारी मांगों से संबंधित ज्ञापन कमिश्नर को देना चाह रहे थे, लेकिन कमिश्नर केबिन में मौजूद नहीं थे। इस वजह से उनका गुस्सा बढ़ा गया। आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
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