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आईटी ने थमाए करोड़ों के वसूली नोटिस, गरीबों के नाम फर्जी खातों में ट्रांजेक्शन

पैन कार्ड का दुरुपयोग : आयकर में फेसलेस के चलते फ्रॉड के मामलों का देर से हुआ खुलासा

भोपाल। आयकर में फेसलेस स्कीम के भले ही ढेरों फायदे गिनाए जाएं लेकिन फ्रॉड के मामलों का खुलासा देर से हो रहा है। मप्र में करोड़ों रुपए की वसूली नोटिस से कई गरीब-मजदूर और मध्यमवर्गीय वेतन भोगियों की नींद उड़ी हुई है। इन सभी के मामलों में एक बात कॉमन है कि उनके पैन कार्ड के आधार पर दूसरे राज्य में फर्जी बैंक खाते और कंपनी खोल कर करोड़ों रुपए के ट्रांजेक्शन किए गए। 50 हजार वेतन वाले भिंड निवासी रवि गुप्ता को विभाग ने 113 करोड़ का टैक्स भरने का नोटिस दिया है। 11 साल बाद भी मामले में खात्मा नहीं लग पाया।

अब बैतूल में ऐसे ही कई लोगों को करोड़ों रुपए के डिमांड नोटिस थमाए गए हैं। इन्हें अब अपील करने को कहा गया है। मामलों में विभाग अब बेनामी एक्ट के तहत छानबीन करेगा। भिंड के रवि को पिछले सप्ताह ही आयकर का एक और नोटिस मिला है। वह 11 साल से यह साबित करने में जुटे हैं कि उनके नाम पर फ्रॉड हुआ है। उनके पैन कार्ड व अन्य दस्तावेज लगाकर फर्जी दस्तखत से फर्जी डायमंड कंपनी और मुंबई में बैंक खाता खोल दिया गया। खाते में 135 करोड़ का ट्रांजेक्शन मिला जिस पर ब्याज-जुमार्ना जुड़कर 113 करोड़ रुपए का टैक्स निकाला गया है।

रीवा-खंडवा में भी : इसी तरह रीवा के कपिल शुक्ला और खंडवा के प्रवीण राठौर भी फ्रॉड के शिकार होकर आयकर विभाग से मिले करोड़ों रुपए के नोटिस से परेशान हैं। इनका भी कई साल से नोटिसों के चलते ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। अभी बैतूल में एक महिला शिक्षिका, एक गरीब गृहिणी और एक दुकान में 7 हजार रुपए महीने की नौकरी करने वाले युवक नितिन जैन भी नोटिस से हैरान हैं। इन सभी को सवा से लेकर 10 करोड़ तक के नोटिस मिले हैं।

अब हुआ खुलासा : अब नोटिस आने के बाद इन लोगों को पहली बार पता चल रहा है कि वे सभी फ्रॉड के शिकार हुए हैं। रवि गुप्ता ने ‘पीपुल्स समाचार’ को बताया कि 11 साल पहले वह एक कॉल सेंटर में काम करते थे तब उनका वेतन बहुत कम था। इस मामले में वह आज भी परेशान हैं जबकि बैंक उन्हें लिखकर दे चुका है कि खाता उनका नहीं है।

44 लोगों का सत्यापन

आयकर अफसरों से इन मामलों में अधिकृत तौर पर कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं मिली। विभागीय सूत्रों का कहना है कि 44 लोगों को भौतिक सत्यापन के बाद नोटिस दिए गए हैं। हालांकि इनके सामने अभी अपील का विकल्प है जिससे मामलों में खात्मा लग सकता है। इनके पैन कार्ड का दुरुपयोग कर तमिलनाडु के बैंक में खाते खुल गए जिनमें लाखों-करोड़ों का ट्रांजेक्शन मिला है। मामला 2015-16 का है।

(इनपुट-राजीव सोनी)

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