भोपालमध्य प्रदेश

टूटी दीवारें, मिटे इकबाल के शेर, नगर निगम की अनदेखी से बदहाल है भोपाल का इकबाल मैदान

भोपाल। राजधानी भोपाल का ऐतिहासिक इकबाल मैदान (Iqbal maidan Bhopal) पिछले काफी समय से बदहाल है। कभी वैचारिक चर्चाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले इस मैदान (पुराना नाम खिन्नी वाला मैदान) में 11-12 सितंबर 1929 को महात्मा गांधी ने अपनी भोपाल यात्रा के समय चरखा चलाया था। लेकिन, अब यहां चरखा नहीं, चिलम चलती है। शाम ढलते ही यहां नशेड़ियों का जमघट लग जाता है। जुएं की फड़ और गंजेड़ियों की भीड़ ही अब यहां की पहचान है। यहां लगे बोर्ड इस मैदान की ऐतिहासिक गाथा बताते हैं, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों को इसकी धूमिल होती तस्वीरों की जरा भी सुध नहीं है।

लोग बोले – यह डस्टबिन जैसी हालत में

इकबाल मैदान में जगह-जगह दीवारों से प्लास्टर उखड़ रहा है।इसी इकबाल मैदान में मध्यप्रदेश के कई मुख्यमंत्रियों ने अनगिनत सभाएं कीं। यहां कई बड़े आंदोलनों की सभाएं भी हुईं, लेकिन इकबाल मैदान की हालत आज बद से बदतर हो गई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां न तो सफाई होती है और न ही यहां सुरक्षा के बंदोबस्त हैं। पहले यहां कव्वाली और मुशायरा होते थे, लेकिन अब यह मैदान डस्टबिन जैसी हालत में है। रहवासी कहते हैं कि इसमें हम सबकी भी गलती है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी ज्यादा जिम्मेदार हैं। जगह-जगह टूटी दीवारें और इन पर लिखे हुए अल्लामा इकबाल के शेर आधे से ज्यादा मिटे हुए या टूटे हुए हैं।

मैदान की सफाई भी नहीं होती। यहां गंदगी पसरी रहती है।मैदान के दरवाजे भी गायब हो चुके हैं। बाउंड्री वॉल कई जगह से टूटी हुई है। जर्जर और खराब हालत में यहां दिखते शिलालेख साफ ब्यान करते हैं कि नगर निगम प्रशासन या जिला प्रशासन का ध्यान इस मैदान की ओर नहीं है।

अफसर बोले- जल्द कराएंगे मरम्मत

इस बाबत नगर निगम के अपर आयुक्त चंद्रप्रताप गोहल ने पीपुल्स अपडेट से कहा कि नगर निगम प्रशासन समय-समय पर ऐतिहासिक स्थलों का रखरखाव करता है। हमें इसकी जानकारी आपसे मिली है। हम जल्द इसकी मरम्मत करवाएंगे।

(इनपुट और फोटो – मिर्जा खाबर बेग, वॉट्सेएप रिपोर्टर)

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