
राजीव सोनी-भोपाल। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाला देश का 70 फीसदी तेंदूपत्ता किन-किन राज्यों में जा रहा है और उससे बनने वाली बीड़ी के जरिए सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू पर भी अब केंद्रीय जांच एजेंसियों ने मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। सरकार के विभिन्न महकमे तेंदूपत्ता की ट्रैकिंग से टैक्स चोरों पर नकेल कसेंगे। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में हुई छापे की कार्रवाई के दौरान नंबर -2 में चल रहे बीड़ी के समानांतर कारोबार और टैक्स चोरी का खुलासा हो चुका है।
इसी तर्ज पर मप्र में भी नंबर दो में चल रहे बीड़ी कारोबार पर नकेल कसने की तैयारी है। बीड़ी कारोबार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के आधा दर्जन से अधिक जिलों में रोहिंग्या परिवार बीड़ी उद्योग से जुड़े हैं। वहां बीड़ी उत्पादन मप्र की तुलना में कई गुना ज्यादा है।
बंगाल के कई कारोबारी केंद्र व राज्य को नहीं दे रहे टैक्स
बंगाल के कारोबारी मप्र-छग के तेंदूपत्ते की दम पर इन दिनों इस व्यवसाय के शहंशाह बन गए हैं। वहां हुई छानबीन में खुलासा हुआ कि समानांतर रूप से नंबर दो के कारोबारी राज्य और केंद्र के हिस्से का टैक्स बचाकर उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और यूपी सहित अन्य राज्यों में रेलवे के जरिए बीड़ी खपा रहे थे। कुछ ट्रांसपोर्टर भी इसमें संलग्न पाए गए।
पिछड़ रहा मप्र का उद्योग
मप्र के बीड़ी निर्माता उनसे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ते जा रहे हैं । इस वजह से यहां का बीड़ी उद्योग भी सिमटने लगा है। केंद्रीय एजेंसियों को बंगाल के चुन्नू सिंह दलाल और ट्रांसपोर्टर की तलाश बनी हुई है। राज्यों की सीमा पर रेलवे और ट्रकों की छानबीन भी तेज की गई है। बीड़ी -तंबाकू के कारोबार में जीएसटी और सेंट्रल एक्साइज लागू होता है लेकिन नंबर दो में चल रहे कारोबार से जीएसटी और सेंट्रल एक्साइज का बड़ा नुकसान हो रहा है।
नंबर दो के उत्पादन से सर्वाधिक टैक्स चोरी
बीड़ी उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि मप्र में समानांतर रूप से नंबर दो में चल रहे बीड़ी कारोबार का उत्पादन पंजीकृत कंपनियों से डबल है। प्रदेश के बीड़ी कारोबारी इस बात से परेशान हैं कि जो लोग नियम से टैक्स जमा करा रहे हैं, वह प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पा रहे। इससे उनका उद्योग भी पिछड़ने लगा है। बंगाल में फरक्का, कालिया चक, मुर्शीदाबाद, अहमदाबाद और धूलियान के बीड़ी कारोबारी मप्र के तेंदूपत्ता की दम पर इस व्यवसाय के शहंशाह के रूप में उभरने लगे हैं।
मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा तेंदू पत्ता उत्पादक राज्य है। प्रदेश में तेंदूपत्ता का औसत वार्षिक उत्पादन लगभग 25 लाख मानक बोरा है, जो देश के कुल तेंदूपत्ता उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत है। मप्र में विंध्याचल और बुंदेलखंड में तेंदूपत्ता का ज्यादा उत्पादन होता है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 45 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण दर तीन हजार रुपए प्रति मानक बोरा निर्धारित कर दी गई है। 2021 तक संग्रहण दर 2500 रुपए प्रति मानक बोरा थी।
जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी, चोरी की छानबीन शुरू
बीड़ी और तंबाकू से जुड़े कारोबार को लेकर विभाग सतर्क है। मप्र-छग में जीएसटी और एक्साइज ड्यूटी चोरी के मामलों की छानबीन चल रही है। राज्यों की सीमाओं पर नजर रखी जा रही है। – सीपी गोयल चीफ कमिश्नर सेंट्रल जीएसटी मप्र-छग जोन.