ताजा खबरधर्म

Ganesh Utsav :  कौन थीं मां पार्वती की सहेलियां जया-विजया, जिनके कहने पर हुआ था गणेशजी का जन्म

Ganesh Utsav : कब हुआ था गणेश जी का जन्म, कौन थीं मां पार्वती की सहेलियां जया-विजया, जिनके कहने पर जन्मे थे गणपति, पीपुल्स अपडेट में सुनिए श्रीगणेश की पौराणिक कथा…

हल्दी के उबटन से जन्मे गणेश

एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया। इसके बाद जब उन्होंने उबटन उतारा तो इससे एक पुतला बना दिया और उस पुतले में प्राण भी डाल दिए। इस प्रकार श्री गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दोपहर 12 बजे हुआ था। शिवपुराण के अनुसार उस समय माता पार्वती पुत्र प्राप्ति के लिए पुण्यक नाम का व्रत कर रही थी, जिसके फलस्वरूप गणेशजी उन्हें पुत्र रूप में प्राप्त हुए। यह भी कहा जाता है कि गणेशजी के निर्माण का विचार उनकी सखी जया और विजया ने उन्हें दिया था।

शिवजी ने त्रिशूल से काटा बालक गणेश का सिर

सखियों ने उनसे कहा कि नंदी और सभी गण सिर्फ महादेव की आज्ञा का पालन करते हैं। आपको भी एक ऐसे गण की रचना करनी चाहिए जो सिर्फ आपकी ही आज्ञा का पालन करें। इससे प्रभावित होकर माता पार्वती ने गणेशजी की रचना की। अपने निर्माण से प्रसन्न माता पार्वती ने उस बालक को आदेश दिया कि मेरे स्नान करके आते तक किसी को भी अंदर नहीं आने देना। संयोग से कुछ देर बाद ही शिवजी आ पहुंचे, लेकिन द्वारपाल बने गणेशजी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। क्योंकि वे केवल माता के आदेश का पालन करते थे। इसके बाद शिवगणों और भगवान गणेश के बीच भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन कोई भी उन्हें हरा नहीं सका। इससे क्रोधित शिवजी ने अपने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर काट डाला।

..इसलिए माताएं अपने बच्चों की ओर पीठ करके नहीं सोती

जब माता पार्वती को यह बात पता चली तो वे रोने लगीं और प्रलय करने का निश्चय कर लिया। इस हठ से देवलोक भयभीत हो उठा। फिर देवताओं ने माता पार्वती की स्तुति की जिससे वे थोड़ी शांत हुई। पूरी घटना जानकर भगवान शिव ने गरुड़ जी से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सो रही हो उस बच्चे का सिर ले आओ। गरुड़ ने काफी देर खोज की, लेकिन ऐसा कोई नहीं मिला। अंत में एक हथिनी नजर आई। हथिनी का शरीर ऐसा होता है कि वो बच्चे की ओर मुंह करके नहीं सो सकती। तो गरुड़ जी उस शिशु हाथी का सिर काट कर ले आए। इसलिए माताएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए उनकी ओर पीठ करके नहीं सोती। शिव ने उसे बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया।

गणेश का नाम सर्वोपरि होगा

पार्वती जी उन्हें जीवित देख बहुत खुश हुई। गणेश जी ने माता पिता की प्रदक्षिणा (परिक्रमा) कर उन्हें प्रणाम किया। सभी देवी-देवताओं ने भी इस अवसर पर बालक गणेश को आशीर्वाद स्वरूप अपनी शक्तियां दीं। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत अगर गणेश पूजा से होगी तो वो सफल होगा। उन्होंने गणेश को अपने समस्त गणों का अध्यक्ष घोषित करते हुए आशीर्वाद दिया कि विघ्न नाश करने में गणेश का नाम सर्वोपरि होगा। इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। और गणों को हराने वाले गणेश गणपति, गणनायक गणाधिपति कहलाएं।

संबंधित खबरें...

Back to top button