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स्वच्छता में अव्वल इंदौर अब वायु गुणवत्ता सुधार में बना सिरमौर, आज पहना देश में नंबर वन का ताज

“अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस विशेष”, जानिए इंदौर के नंबर वन होने की पीछे की कहानी

भोपाल। 23 अगस्त की शाम जब चंद्रयान-3 की विजयगाथा कानों में गूंज रही थी, उसी समय इंदौरियों को गौरवान्वित करने वाली एक और बड़ी खबर मिली। लगातार छह साल से स्वच्छता में पहले नंबर पर रहने वाले इंदौर ने वायु गुणवत्ता में सुधार में भी अव्वल स्थान हासिल करते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2023 में पहला स्थान हासिल किया।

आज भोपाल में मिला इंदौर को सम्मान

प्रथम श्रेणी (10 लाख से ज्यादा आबादी वाली श्रेणी) के अंतर्गत इंदौर देश में  पहले स्थान पर रहा, इसके बाद आगरा और तीसरा स्थान महाराष्ट्र के ठाणे का रहा। दूसरी श्रेणी (3-10 लाख आबादी) में अमरावती को पहला स्थान मिला, इसके बाद मुरादाबाद और गुंटूर ने तीसरा स्थान हासिल किया। इसी तरह तीसरी श्रेणी (3 लाख से कम आबादी) के लिए परवाणूं ने पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद कालाअंब और अंगुल ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। राजधानी भोपाल 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की लिस्ट में पांचवे स्थान पर रहा। इस सूची में जबलपुर को 13वां और ग्वालियर को 41वां स्थान प्राप्त हुआ। 3 लाख से 10 लाख तक की श्रेणी में एमपी के सागर शहर को 10वां और 3 लाख से कम आबादी वाले शहरों में एमपी के देवास को 6वां स्थान मिला। इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव व नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह को आज केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में अव्वल आने पर सम्मानित किया।

क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस

वायु गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र 7 सितंबर को नील गगन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस मनाता है। इस साल की थीम है- ‘टुगेदर फॉर क्लीन एयर’ यानी ‘स्वच्छ वायु के लिए एक साथ’। इस थीम का मकसद है वायु प्रदूषण को रोकन के लिए समाज के सभी वर्गों, संस्थानों, समुदायों और निजी स्तर पर आपस में मजबूत साझेदारी और साझा जिम्मेदारी तय करना।केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण वायु सर्वेक्षण में इंदौर ने सभी 8 पैमानों पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 200 में से 187 अंक हासिल कर अपनी श्रेणी के 46 शहरों को पीछे छोड़ा है।

 केंद्र ने तय किए थे पैरामीटर्स और पॉइंट्स

  1. बायोमास (लकड़ी, कंडे, कृषि अवशेष)/ शहरी सूखा कचरा जलाने से उत्सर्जन कम करने के उपाय – 20% अंक
  2. सड़कों की धूल कम करने के उपाय – 20% अंक
  3. निर्माण गतिविधियों और इमारतों आदि को ध्वस्त करने से उड़ने वाली धूल कम करने के उपाय – 5% अंक
  4. वाहन उत्सर्जन कम करने के उपाय – 20% अंक
  5. उद्योगों से उत्सर्जन कम करने के उपाय – 20% अंक
  6. उत्सर्जन कम करने के अन्य उपाय – 10%
  7. जन जागरूकता – 2.5% अंक
  8. पीएम10 का स्तर कम करना – 2.5% अंक

इंदौर ऐसे बना नंबर वन

पिछले एक साल में पर्यावरण संरक्षण और वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए खास कोशिशों के कारण इंदौर नंबर वन बना है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2023 के नतीजे आने के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि, “शहरवासियों की सहभागिता, और निगम से जुड़े जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों-कर्मचारियों के अथक परिश्रम का ही यह नतीजा है।” इंदौर में सड़कों की मशीनी झाड़ू से लगातार सफाई से धूल कणों के फैलाव को रोकने में मदद मिली है। इसके साथ ही भवन निर्माण सामग्री की वजह से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इसकी ढुलाई की अनुमति केवल रात को दी गई, वह भी वाहन को तारपोलीन से ढंककर रखने की शर्त के साथ। जिससे धूल न उड़े और वातावरण प्रदूषित न हो। इसके साथ ही जन सहयोग से रेस्टोरेंट्स और ढाबों में लकड़ी-कोयले की भट्टियों और तंदूर की जगह पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) का उपयोग हो रहा है। इंदौर निगम कमिश्नर हर्षिका सिंह के मुताबिक,“शहर की एयर क्वालिटी में सुधार समय की मांग है। वायु गुणवत्ता सुधार के प्रयासों में नंबर वन होने से बढ़ी जिम्मेदारी के बाद मुझे विश्वास है कि हम इस प्रदर्शन को बरकरार रखने में कामयाब होंगे।”

वैज्ञानिक सोच और शोध को तरजीह

इंदौर में एयर क्वालिटी सुधारने के लिए वैश्विक स्तर के एक्सपर्ट और वैज्ञानिक रिसर्च का सहयोग रहा है। यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के सहयोग से चल रहे क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोग्राम के प्रोजेक्ट मैनेजर कौशिक हजारिका ने बताया कि पिछले तीन साल में क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट ने विभिन्न चरणों में योजनाबद्ध तरीके से शहर की एयर क्वालिटी में सुधार के लिए वैज्ञानिकों ने कई अध्ययन कर रिसर्च रिपोर्ट्स तैयार कीं। इसके तहत वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करते हुए, स्थानीय प्रशासन, उद्योगों, स्वयंसेवी संस्थाओं, जन प्रतिनिधियों के साथ ही स्वास्थ्य, परिवहन और शिक्षा जैसे विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मियों को वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया। यहां तक कि जनता को प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये जागरूक किया गया। क्लीन एयर केटेलिस्ट के कम्युनिकेशन कंसल्टेंट सुधीर गोरे के अनुसार लगातार बढ़ते और विकसित होते इंदौर में हवा की क्वालिटी को बेहतर करना एक बड़ी चुनौती था, लेकिन लोगों में जागरुकता फैलाकर हमने वो कर दिखाया जिस पर आम इंदौरी नाज कर सकता है।

मेट्रो आने से सुधरेगी एयर क्वालिटी

कैटलिस्ट प्रोजेक्ट की पार्टनर डब्ल्यूआरआई इंडिया के एयर क्वालिटी सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट संजर अली के मुताबिक, “कचरा प्रबंधन के जरिये प्रदूषण रोकने के मामले में पिछले छह साल से इंदौर देश में पहले नंबर पर है। इंदौर ने सिटी बस और बीआरटीएस के जरिये पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर फोकस किया है। इससे वाहनों का प्रदूषण घटाने में मदद मिली है। शहर में यातायात के लिए बुनियादी ढांचे के विकास साथ ही शेयरिंग आधार पब्लिक बाइसिकल सिस्टम को विकसित किया गया है।” सितंबर माह में इंदौर में मेट्रो ट्रेन का ट्रायल होगा। उम्मीद है मेट्रो ट्रेन वायु प्रदूषण को कम कर सकेगी।

इन कामों से मिला नंबर वन का ताज

इंदौर में अधिकांश उद्योंगो ने अब वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया है। सड़कों की धूल वायु गुणवत्ता को खराब करती है। इससे लोगों को बचाने के लिए इंदौर में सड़कों की मशीनों से सफाई, सड़कों के किनारे और डिवाइडरों पर पेड़-पौधे लगाना, सड़क किनारे पेवमेंट बनाने जैसे काम लगातार किए जा रहे हैं। ईंट भट्टों को शहरी सीमा से दूर ले जाने का काम जारी है, जबकि तंदूर में लकड़ी-कोयले का इस्तेमाल खत्म हुआ है। डब्ल्यूआरआई के सर्वे के मुताबिक खाना पकाने और गर्म करने के लिए अब होटलों-ढाबों में 89 फीसदी एलपीजी, सात फीसदी बिजली और 1 फीसदी डीजल का ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो रहा है।

(इनपुट – नितिन साहनी)

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