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रक्षाबंधन विशेष : बुंदेलखंड के गांव-गांव में क्यों पूजे जाते हैं लाला हरदौल

रक्षाबंधन पर भाई और बहन के रिश्ते की एक ऐसी कहानी बता रहे हैं, जो बुंदेलखंड में तो हर घर में प्रचलित है, लेकिन बाहर के लोग इसे कम जानते हैं। कहानी करीब 400 साल पहले ओरछा के दीवान हरदौल, उनकी बहन कुंजाबाई और उनकी भाभी चंपावती की है। पीपुल्स अपडेट में सुनिए लाला हरदौल की कहानी…

कौन थे लाला हरदौल, जिनके किस्से आज भी लोकप्रिय हैं

आज भाई और बहन के रिश्ते की एक ऐसी कहानी बता रहे है, जो बुंदेलखंड में तो हर घर में प्रचलित है, लेकिन बाहर के लोग इसे कम जानते हैं। कहानी करीब 400 साल पहले ओरछा के दीवान हरदौल, उनकी बहन कुंजाबाई और उनकी भाभी चंपावती की है। बुंदेलखंड की ओरछा रियासत के राजा थे वीर सिंह। उनके 8 पुत्रों में जुझार सिंह सबसे बड़े और हरदौल सिंह सबसे छोटे थे। जुझार सिंह को अक्सर मुगलों से मोर्चा लेने जाना पड़ता था। ऐसे में रियासत का सारा काम हरदौल देखते थे।

हरदौल की कार्यकुशलता लोकप्रियता से जलकर मुगलों ने राजा जुझार सिंह के कान भरे कि उनकी पत्नी चंपावती और हरदौल सिंह के बीच अनैतिक संबंध है। इस पर राजा जुझार सिंह ने रानी चंपावती को अपने हाथों से हरदौल को जहर परोसने का आदेश दिया। हरदौल को बच्चे की तरह पालनेवाली रानी यह अन्याय न कर सकी, तो हरदौल ने अपनी भाभी का दामन साफ रखने के लिए खुद ही जहर पीकर, 24 बरस की आयु में मौत को गले लगा लिया। हरदौल की समाधि दतिया के पास बनाई गई।

मौत के बाद भी भांजी के ब्याह में पहुंचे थे हरदौल

जुझार सिंह और हरदौल की बहन कुंजाबाई ने जब जुझार सिंह को अपनी बेटी की शादी में आने का न्योता भेजा, तो जुझार सिंह ने व्यंग्य में कहा कि वह अपने प्रिय भाई हरदौल को आमंत्रित करे। इससे दु:खी कुंजाबाई हरदौल की समाधि पर जाकर रोने लगी। बहन की करुण पुकार पर हरदौल प्रकट हुए और उन्होंने भांजी की शादी में भात लेकर आने का वादा किया। शादी में हरदौल ने अदृश्य रहकर अपनी भांजी को भात दिया। कुंजावती के गांव खडऊंआ में सामानों से भरी बैलगाड़ी पहुंची, सामान उतरा, लेकिन न गाड़ी लानेवाले दिखे न सामान उतारनेवाले। भोजन परोसनेवालों में भी एक परोसने वाले का सिर्फ हाथ और बर्तन दिखाई दे रहा था। यह देखकर दूल्हे ने उस अदृश्य हाथ को पकड़ लिया और जिद की कि जब तक वे दर्शन नहीं देंगे, वह भोजन नहीं करेंगे। तब हरदौल को दामाद को दर्शन देने पड़े। बहन कुंजावती ने उनसे वादा लिया कि जिस तरह उन्होने उनके निमंत्रण को स्वीकार करके उनकी बेटी के विवाह की लाज रखी है, उसी तरह जो उन्हे निमंत्रण दें, उसके घर की शादी की वे लाज रखें।

बुंदेलखंड में हर शादी में पहले हरदौल को भेजा जाता है न्यौता

इस चमत्कार के बाद से बुंदेलखंड के हर घर में शादी के मौके पर हरदौल को सबसे पहले आमंत्रित किया जाता है। समूचे बुंदेलखण्ड के लोक देवता हैं लाला हरदौल, जिन्हें महिलाएं अपना भाई और कन्याएं मामा मानकर शादी में बुलाती हैं। लोग मानते हैं कि हरदौल के आने से विवाह मे कोई विघ्न नहीं आता। हर कमी पूरी हो जाती है। विवाह के बाद उन्हें नारियल लौटाने और धन्यवाद देने भी लोग पहुंचते हैं। कुंजावती की बेटी की शादी में हुए चमत्कार के बाद आस-पास के हर गांव में ग्रामीणों ने प्रतीक के तौर पर अपने गांव में एक ‘हरदौल चबूतरा’ बनवाया था, जो कई गांवों में अब भी मौजूद हैं।हरदौल की वीरता ने उन्हे हर एक बुंदेले के दिल में मान-प्रतिष्ठा की उस ऊंची जगह पर बैठाया है, जहां न्याय और उदारता भी उन्हें नहीं पहुंचा सकी थी। बुंदेलखंड में हरदौल का मंदिर एक तीर्थ है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार वे अभी भी जीवित हैं।

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