
हेमंत नागले, इंदौर। 6 वर्षों से फरार यूएसके इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चिटफंड कंपनी के मुख्य कर्ताधर्ता इंदौर क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में आ गए हैं। पति-पत्नी दोनों पर 20 हजार रुपए का इनाम घोषित था। दोनों ही आरोपी देवास, हरियाणा, राजस्थान व छत्तीसगढ़ सहित कई शहरों में कंपनी के 13 डायरेक्टर सहित कई सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज थी। धोखाधड़ी करने वाले यह आरोपी काफी शातिर थे और 5 सालों में रुपए दोगुना करने का लालच देते थे। दोनों ही दंपति लंबे समय से फरार थे, जिसे अब क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है।
क्या है मामला
डीसीपी अपराध निमिष अग्रवाल के मुताबिक, वर्ष 2007 में चिटफंड कंपनी के मुखिया माखनलल वर्मा निवासी देवास, उसकी पत्नी सुमन वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जिसे शुक्रवार को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। दोनों ही डायरेक्टर द्वारा मनोरमा गंज में मालवा अंचल इंडिया और साकेत चौराहे पर यूएसके इंडिया के नाम से ऑफिस संचालित किया जा रहा था। आरोपियों द्वारा बचत योजना का लालच देकर पहले एक सर्टिफिकेट शुरू कर दिया जाता था और 5 वर्ष बाद इन्वेस्टमेंट कंपनी में लगाई गई रकम को डेढ़ गुना और दोगुना करने का लालच दिया जाता था।
ऐसे चलाते थे यह स्कीम
आरोपी चिटफंड कंपनी में 500 रुपए महीना से लगाकर लाखों रुपए अपनी कंपनी में इन्वेस्ट कराते थे और उन्हें डेढ़ गुना या दोगुना रुपए का लालच देते थे। कंपनी के डायरेक्टर माखनलाल वर्मा और एजेंट सीमा पत्नी प्रभु लाल ने कई जगह अपने ऑफिस खोल रखे थे। जिस समय कंपनी का मुख्य डायरेक्टर माखनलाल वर्मा गिरफ्तार हुआ था। उसने बताया था कि महीने में 500 से लेकर 2000 लोगों के कंपनी में खाते खोले जाते थे। उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता था, जिसमें 5 साल बाद रुपए कई गुना का लालच दिया जाता था। 5 साल बीत जाने के बाद जब पैसे वापस होने का समय आया तो कंपनी ने कई लोगों को चेक थमा दिए थे। जो चेक बैंक में जाने पर बाउंस हो गए, जहां कंपनी के चक्कर काटने के बाद कई फरियादियों ने प्रदेश सहित सभी जगह पुलिस की शरण ली थी। आरोपी के खिलाफ छत्तीसगढ़, इंदौर, राजस्थान, पंजाब सहित कई राज्यों में एफआईआर दर्ज है।
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— Peoples Update (@PeoplesUpdate) March 17, 2023
यूएसके इंडियन लिमिटेड के डायरेक्टर माखनलाल वर्मा पत्नी सुमन वर्मा, संजय वर्मा, प्रवीण पटेल, गोपाल पटेल, दिलीप सेन, महेंद्र गोसाई, अमित रत्नाकर, नंदन रत्नाकर व उमेश नरवरिया पर अब तक प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। सभी आरोपियों पर 420, 406 सहित अन्य धाराओं में मामले दर्ज हैं। सेबी द्वारा 2015 में ब्लैक लिस्टेड की गई चिटफंड कंपनियां यूएसके इंडिया और मालवांचल इंडिया लिमिटेड ने देवास सहित प्रदेशभर के लोगों से करोड़ों रुपए वसूलकर उन्हें चपत लगाई है। उस पर रुपए वापसी का दबाव बढ़ा तो उसने अपने ही कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर सोची-समझी रणनीति के तहत उन पर एफआईआर करवा दी।
मालवांचल इंडिया लिमिटेड का MP में ठगी का नेटवर्क
दरअसल, मालवांचल इंडिया लिमिटेड ने बड़े शातिराना ढंग से मध्य प्रदेश में ठगी का नेटवर्क तैयार किया है। इसी नेटवर्क के तहत कंपनी ने देवास में संजय वर्मा पुत्र माखनलाल वर्मा को कंपनी का क्षेत्रीय कर्ताधर्ता नियुक्त कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। स्थानीय होने के कारण संजय वर्मा ने रियल एस्टेट के झांसे में लोगों से निवेश कराना शुरू किया और धीरे-धीरे उन्हें मोटे कमीशन के लालच में एजेंट बनाता गया। जब कंपनी में स्थानीय लोग जुड़ गए तो बड़ी संख्या में उन्होंने अपने नाते-रिश्तेदारों से निवेश कराया। लेकिन जब पैसा लौटाने की बात आई तो संजय वर्मा ने नौकर के अकाउंट का चेक देना शुरू कर दिया, जो बाउंस होते रहे। लोगों ने जैसे ही कंपनी की करतूतों के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की तो कंपनी के डायरेक्टर्स ने एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। चौंकाने वाली बात यह है कि जिन कंपनियों के डायरेक्टर्स पर कई शहरों में करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं, उसी की शिकायत पर टोंकखुर्द थाना प्रभारी जेजी चौकसे ने बिना जांच किए आधा दर्जन धाराओं में केस दर्ज कर दिया। 30 जुलाई को आईजी उज्जैन को यूएसके इंडिया और मालवांचल इंडिया लिमिटेड कंपनियों के चेयरमैन उमेश नरवरिया ने अपने कर्मचारियों के खिलाफ गबन की शिकायत की थी।
पूरा परिवार इस गौरखधंधे में लगा हुआ है। पहले इनका क्षेत्र ग्वालियर चंबल संभाग हुआ करता था। लेकिन अब इन्होंने भोपाल, इंदौर, देवास, रतलाम आदि क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है। उमेश नरवरिया को कभी किसी ने देखा नहीं है। देवास में उसने संजय वर्मा को पूरा नेटवर्क सौंप रखा है। कंपनियों के कर्ताधर्ता कागजों पर बदलते रहते हैं, लेकिन असली किरदार देवास के नावदा निवासी टीचर माखनलाल, पुत्र संजय, कमल पटेल, पप्लू पटेल, राकेश पटेल व अन्य परिजन हैं। अनुमान के मुताबिक दोनों कंपनियों ने देवास, शाजापुर, इंदौर, धार, भोपाल से 300 करोड़ से ज्यादा उगाहे थे। सूत्रों के मुताबिक कई सरकारी अधिकारियों ने भी संजय के साथ निवेश किया है। पीड़ित लोगों का कहना है कि वर्ष 2011-12 में यूएसके इंडिया लिमिटेड एवं मालवांचल इंडिया लिमिटेड के नाम से पॉलिसी बनाकर ग्राहकों को दी गई थी, जिसकी अवधि एक वर्ष से 10 वर्ष तक की थी। जिसमें ग्राहकों को दोगनी एवं तिगुनी राशि देने का वादा किया गया था। जब पॉलिसी की अवधि पूर्ण हो गई, तब कंपनी द्वारा ग्राहकों को पैसा देने से साफ इनकार कर दिया गया। तथा कंपनी द्वारा जो चेक ग्राहकों को दिए गए थे, वो भी बाउंस हो रहे हैं। कंपनी का हेड ऑफिस गीता भवन चौराहा इंदौर महासागर कॉम्पलेक्स में है जो कि वर्तमान में बंद है।