इंदौर की जिला कोर्ट ने एक अनोखा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें एक ई-रिक्शा ऑटो ड्राइवर को पीड़ित पक्ष को 16 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला तब सामने आया था जब ऑटो ड्राइवर ने 3 सवारियों की जगह 6 सवारियों को अपने रिक्शे में बैठा लिया था, जिसके कारण रिक्शा पलट गया और सेंधवा निवासी मंशा राम का एक पैर काटना पड़ा।
क्या है मामला ?
दरअसल, यह हादसा 15 मार्च 2021 को हुआ था। बड़वानी जिले के सेंधवा निवासी मंशा राम और उनके परिवार के सदस्य 6 लोग एक ऑटो ई-रिक्शा में सवार होकर यात्रा कर रहे थे। जब उनका ई-रिक्शा चाचरिया रोड पर दूसरी ऑटो से टकरा गया, तो वह पलट गया। इस हादसे में मंशा राम गंभीर रूप से घायल हुए और इलाज के दौरान उनका एक पैर काटना पड़ा। इसके बाद, पीड़ित ने जिला कोर्ट में मुआवजे के लिए क्लेम किया था, जिसमें उन्होंने दोनों ई-रिक्शा मालिकों और ड्राइवर से 15 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी।
जिला कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि ऑटो ड्राइवर ने मोटर यान अधिनियम का उल्लंघन करते हुए 3 सवारियों की बजाय 6 सवारियों को बैठाया था, जिसके कारण हादसा हुआ। इंश्योरेंस कंपनी ने भी दावा किया कि यह उल्लंघन था और इसके लिए वे मुआवजे के लिए उत्तरदायी नहीं थे।
इंश्योरेंस कंपनी मुआवजे के लिए जिम्मेदार नहीं
एडवोकेट राजेश चौरसिया ने बताया कि कंपनी का तर्क था कि मोटर यान अधिनियम का उल्लंघन हुआ था, इसलिए इंश्योरेंस कंपनी मुआवजे के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकती थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यह माना कि मोटर यान अधिनियम का उल्लंघन होने के कारण इंश्योरेंस कंपनी मुआवजे के लिए जिम्मेदार नहीं थी।