
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में अवनीश ने इतिहास रच दिया है। सात साल की उम्र में अवनीश ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर ली। अपने पिता के साथ 18 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर मौजूद काला पत्थर तक पहुंचकर तिरंगा फहराया। बताया जा रहा है कि अवनीश ऐसा करने वाला दुनिया का पहला बच्चा बन गया है।
इस बीमारी से ग्रसित है अवनीश
अवनीश अपने पिता आदित्य तिवारी के साथ 14 अप्रैल को एवरेस्ट यात्रा पर निकले थे। 19 अप्रैल को वो शिखर पर पहुंचे। बता दें कि सात वर्षीय अवनीश बचपन से ही डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। अवनीश के पिता ने ना केवल उंगली पकड़कर चलना सिखाया बल्कि उसके सपनों को पूरा करने में जुट गए।

ट्रैक के दौरान रखा खास ध्यान
आदित्य ने बताया कि उन्होंने इस ट्रैक के कुछ दिन पहले अपने डाइट में बदलाव किए थे। आदित्य सिर्फ फलों पर रहे और अवनीश ने सादी दाल रोटी खाई। इस ट्रैक पर आदित्य करीब 70 किलो तक का भार लेकर चढ़े। जिसमें 10 किलो तो सिर्फ दवाएं थीं, जिससे अवनीश को कोई परेशानी ना हो। उन्होंने अपने साथ नेब्युलाइजर मशीन भी रखी।

अवनीश ने समाज को दिया ये संदेश
आदित्य ने बताया कि वे अवनीश के माध्यम से समाज को ये संदेश देना चाहते हैं कि डाउन सिंड्रोम पीड़ित को भी यदि सही परवरिश और मार्गदर्शन मिले तो वे हर कार्य कर सकते हैं। मैं जब अवनीश को अन्य स्थानों पर ट्रेकिंग पर लेकर गया तो उसे उसमें आनंद आया और एवरेस्ट पर चढ़ने का हमने मन बनाया।

कैसे लगा अवनीश ऊंचाई चढ़ सकता है ?
आदित्य ने बताया, मैंने फैसला तो कर लिया, लेकिन इस पर अमल करने में कई बाधाएं आईं। पहले अवनीश को प्लेन से लेकर लद्दाख गया। अवनीश को कोई तकलीफ नहीं हुई। तब लगा कि वो ऊंचाई पर जा सकता है। फिर मैं उसे कश्मीर ले गया। गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम में देखा कि उसकी बॉडी कैसे रिस्पॉन्ड कर रही है। जब सब कुछ ओके था तो तय किया कि एवरेस्ट चढ़ेंगे।
शादी से पहले अवनीश को गोद लिया
बायोलॉजिकल पेरेंट्स ने अवनीश को डाउंन सिंड्रोम है, ये जानने के बाद, उसे अनाथालय में छोड़ दिया। जब आदित्य अडॉप्शन के लिए वहां गए तो उन्होंने अवनीश से एक अलग ही जुड़ाव महसूस किया। आदित्य ने साढ़े छह साल पहले सात महीने के बच्चे को गोद लिया और उसे नाम दिया अवनीश। बता दें कि आदित्य ने शादी से पहले अवनीश को गोद लिया।