मुंबई। शेयर बाजार में हालिया रिकॉर्ड तेजी के बावजूद भारतीयों का भरोसा परंपरागत निवेश वाले साधनों में बना हुआ है। इन परिवारों की कुल संपत्ति का 79 फीसदी हिस्सा संपत्ति, सोना व बैंक एफडी में जमा है। इक्विटी में सिर्फ 5.8% निवेश है। जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ सालों के दौरान भारतीय परिवारों की संपत्ति में विविधता आई है। भारतीय परिवारों के लिए रियल एस्टेट निवेश का प्रमुख साधन बना हुआ है, जो उनकी कुल संपत्ति में 51.3 प्रतिशत का योगदान देता है। 15.2 प्रतिशत हिस्से के साथ सोना दूसरे स्थान पर है और इसके बाद बैंक जमा का नंबर आता है, जो घरेलू परिसंपत्तियों का 13.3 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य निधि (पीएफ) और पेंशन योजनाएं 5.7 प्रतिशत और नकद होल्डिंग तीन प्रतिशत हैं।
एसआईपी से शेयर में निवेश
इक्विटी में कम निवेश है, लेकिन सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये शेयर बाजार में खुदरा निवेश में वृद्धि हुई है। इसमें लोग मासिक आय का एक तय हिस्सा इक्विटी-लिंक्ड योजनाओं में निवेश करते हैं, जिससे अनुशासित और स्थिर निवेश को बढ़ावा मिलता है।
एसआईपी में निवेश 25 हजार करोड़ के पार
अक्टूबर में बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद एसआईपी निवेश 25,302 करोड़ के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह सितंबर की तुलना में 3.3 प्रतिशत ज्यादा है और अक्टूबर, 2023 के मुकाबले 49.6 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है। एसआईपी योगदान में स्थिर वृद्धि यह दर्शाती है कि खुदरा निवेशक अनिश्चित बाजार परिस्थितियों में भी इक्विटी निवेश के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
परिवार को सुरक्षित रखने प्रॉपटी में इन्वेस्टमेंट
- रियल एस्टेट सुरक्षित निवेश माना जाता है। इसकी कीमत समय के साथ बढ़ती है। इसमें निवेश से लंबे समय तक रिटर्न मिलता है, जैसे किराये की आय या संपत्ति की कीमत में वृद्धि।
- यह महंगाई के प्रभाव से भी बचाता है, क्योंकि कीमतें मुद्रास्फीति के साथ बढ़ती हैं।
- भारतीय अक्सर रियल एस्टेट में निवेश करते हैं, ताकि वे अपने बच्चों और परिवार के लिए विरासत में मिली संपत्ति छोड़ सकें।