
15 अगस्त 1947 को भारत ने आजादी मिली। इसके बाद देश के लिए एक ऐसे संविधान की आवश्यकता महसूस हुई, जो एक लोकतांत्रिक, समाजवाद और न्यायप्रिय समाज का निर्माण कर सके। इस दिशा में पहला कदम 9 दिसंबर 1946 को उठाया गया, जब संविधान सभा की पहली बैठक आयोजित की गई। इस सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिन्हें विभिन्न प्रांतों और रियासतों से चुना गया था।
विविधता के साथ बनाया गया संविधान
संविधान सभा की पहली बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष चुना गया। लोगों का मानना था कि भारत जैसे विविधता से भरे देश के लिए एक ऐसा संविधान बनाया जाना चाहिए जो सभी नागरिकों के हक की बात करें।
26 जनवरी 1947 को डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमिटी बनाई गई। इस कमिटी का मुख्य काम संविधान का मसौदा तैयार करना था। डॉ. अंबेडकर ने यह काम पूरी निपुणता और समर्पण से किया। इसी कारण उन्हें ‘भारतीय संविधान के जनक’ कहा जाता है।
विभिन्न चरणों में हुआ संविधान का निर्माण
संविधान का निर्माण 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों में किया गया, जिसमें विभिन्न चर्चाएं, बहसें और विचार-विमर्श हुए। संविधान सभा ने कुल 11 सत्र आयोजित किए और इस दौरान 114 दिनों तक खुली बहस हुई। यह बहस न केवल संविधान के प्रावधानों पर केंद्रित थी, बल्कि यह भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक भविष्य की नींव भी रख रही थी।
इस प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया गया, जैसे कि
- नागरिकों के मौलिक अधिकार
- राज्यों और केंद्र के बीच संबंध
- अल्पसंख्यकों के अधिकार
- महिलाओं की समानता
- और सामाजिक न्याय
प्रेरणा के स्रोत
भारत के संविधान को विभिन्न देशों के संविधानों से प्रेरणा मिलती है। ब्रिटेन, अमेरिका, आयरलैंड, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया के संविधानों से विभिन्न प्रावधान और सिद्धांत अपनाए गए। उदाहरण के लिए, मौलिक अधिकारों की अवधारणा अमेरिका से ली गई, जबकि संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से प्रेरित थी।
26 नवंबर 1949 को अपनाया गया भारतीय संविधान
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया गया। हालांकि, इसे लागू करने के लिए 26 जनवरी 1950 की तारीख तय की गई। 26 जनवरी को चुनने का विशेष कारण था, क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इस दिन को भारतीय गणराज्य के रूप में चिह्नित करने का निर्णय लिया गया।
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारतीय संविधान
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसमें 395 आर्टिकल्स, 22 डिवीजन और 8 सचेडूल्स थी (अब इसमें संशोधन के बाद वृद्धि हुई है)। यह संविधान भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जैसे कि समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, और शोषण के खिलाफ अधिकार।
संविधान ने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया, जिसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी गई। यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी देता है और हर नागरिक को समान अवसर प्रदान करता है।