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हिंसक हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन : महाराष्ट्र के बीड में कर्फ्यू… इंटरनेट बंद, दो NCP विधायकों और एक पूर्व मंत्री का फूंका घर

बीड। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया है। सबसे प्रभावित बीड़ जिले में हिंसा और आगजनी की घटनाओं के बाद एहतियातन कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद की गई हैं। वहीं जालना में पिछले 12 घंटों में तीन लोगों ने सुसाइड करने की कोशिश की। वहीं मराठाओं को आरक्षण देने के लिए सरकार अध्यादेश भी ला सकती है।

6 दिन से भूख हड़ताल पर हैं मनोज जरांगे

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे जालना के अंतरौली में 6 दिन से (25 अक्टूबर से) भूख हड़ताल पर हैं। सीएम ने मंगलवार सुबह उनसे बात की, इसके बाद उन्होंने पानी पिया। मराठा आरक्षण की मांग पर भूख हड़ताल पर बैठे एक्टिविस्ट मनोज जरांगे ने कहा कि, मराठाओं को पूरे महाराष्ट्र में आरक्षण चाहिए न कि कुछ क्षेत्र में।

 

NCP के 2 विधायकों के जलाए घर

हिंसा में तीन विधायकों के घरों और कार्यालयों को निशाना बनाया गया। आंदोलनकारियों ने 30 अक्टूबर को NCP के दो विधायकों के घरों में आग लगा दी। बीड जिले के माजलगांव से NCP विधायक प्रकाश सोलंके के बंगले में सुबह करीब 11 बजे घुसकर पथराव किया और आग लगा दी। इसके बाद बीड में ही दोपहर बाद NCP के एक और विधायक संदीप क्षीरसागर का घर जला दिया। हालांकि, दोनों विधायक सुरक्षित हैं।

प्रकाश सोलंके अजीत पवार गुट के हैं, वहीं क्षीरसागर शरद पवार गुट के हैं। बीड में ही आंदोलनकारियों ने नगर परिषद भवन और NCP दफ्तर में भी आग लगाई। इस साल अगस्त से ही मराठा आरक्षण आंदोलन चल रहा है। आरक्षण की मांग को लेकर पिछले 11 दिनों में 13 लोग सुसाइड कर चुके हैं।

बीड में NCP का शरद पवार गुट का दफ्तर जलाया। माजलगांव से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के बंगले में लगाई आग।

मराठा आरक्षण के समर्थन विधायक-सांसदों का इस्तीफा

शिवसेना के दो सांसदों और भाजपा के एक विधायक ने मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच 29 अक्टूबर को इस्तीफा दे दिया। हिंगोली से सांसद हेमंत पाटिल और नासिक के सांसद हेमंत गोडसे ने रिजाइन कर दिया है। वहीं गेवराई विधानसभा क्षेत्र के विधायक लक्ष्मण पवार ने भी इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि, तीनों ने मराठा आरक्षण की मांग के समर्थन में रिजाइन किया है।

कौन हैं मराठा ?

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन कर रहे मनोज जरांगे का कहना है कि, मराठा और कुनबी एक ही हैं। संभाजी ब्रिगेड से जुड़े प्रवीण गायकवाड़ ने बताया था, ‘मराठा कोई जाति नहीं है। राष्ट्रगान में मराठा को भौगोलिक इकाई के तौर पर बताया गया है। जो लोग महाराष्ट्र में रहते हैं, वो मराठा हैं।’

रिटायर जस्टिस एसएन खत्री की अध्यक्षता वाले राज्य पिछड़ा आयोग ने 1 जून 2004 को मराठा-कुनबियों और कुनबी-मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दी थी।

मराठाओं की मांगें क्या हैं?

  • मराठाओं में जमींदारों और किसानों के अलावा अन्य लोग भी शामिल हैं। मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे आंदोलन की शुरुआत 1 सितंबर से हुई है, ये लोग मराठाओं के लिए ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं। इनका दावा है कि निजाम का शासन खत्म होने तक यानी सितंबर 1948 तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और ये ओबीसी थे। इसलिए फिर से इन्हें कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और ओबीसी में शामिल किया जाए।
  • कुनबी जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है। वे खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में ओबीसी में शामिल किया गया है। अनशन पर बैठे मनोज जरांगे का कहना है कि, मराठियों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही आंदोलन खत्म किया जाएगा।
  • क्या है महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मसला ?
  • महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार साल 1982 में बड़ा आंदोलन हुआ था।
  • उस समय आर्थिक स्थिति के आधार पर मराठी नेता अन्नासाहेब पाटिल ने मराठाओं को आरक्षण की मांग की गई थी। सरकार द्वारा उनकी मांग को नजरअंदाज करने की वजह से उन्होंने खुदकुशी कर ली थी।
  • साल 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 16% आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लेकर आए थे। लेकिन 2014 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार चुनाव हार गई और बीजेपी-शिवसेना की सरकार आई, जिसमें देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने। वहीं नवंबर 2014 में इस अध्यादेश पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी।
  • 2018 में इसके लिए राज्य सरकार ने कानून बनाया और मराठा समाज को नौकरियों और शिक्षा में 16% आरक्षण दे दिया। लेकिन जून 2019 में इसे कम करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरियों में 13% और शैक्षणिक संस्थानों में 12% कर दिया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में इसे रद्द कर दिया। कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि, आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को तोड़ा नहीं जा सकता।

कुछ मराठा परिवारों को मिलेगा लाभ : शिंदे

जानकारी के मुताबिक, कुछ मराठा परिवारों को ही आरक्षण मिलेगा। कमेटी ने अब तक 1.73 करोड़ दस्तावेज जांचे हैं। इनमें 11,530 रिकॉर्ड में कुनबी जाति का जिक्र है। जिनके पास कुनबी के साक्ष्य होंगे, उन्हें तुरंत आरक्षण प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस मुद्दे पर गठित रिटायर्ड जस्टिस संदीप शिंदे कमेटी मंगलवार को अपनी रिपोर्ट देगी, जिस पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी। वहीं अनशन पर बैठे मनोज जारांगे ने कहा कि आंशिक आरक्षण स्वीकार नहीं करेंगे। सबको आरक्षण मिले।

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