
बेंगलुरु। भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप कंपनी पिक्सल ने देश की पहली निजी सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन ‘फायरफ्लाई’ को सफलतापूर्वक लॉन्च कर अंतरिक्ष में अपनी अलग पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए इसे भारतीय युवाओं की प्रतिभा और निजी क्षेत्र में बढ़ती संभावनाओं का जिक्र किया।
स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से हुआ लॉन्च
पिक्सल स्पेस ने बुधवार को ‘फायरफ्लाई’ नामक इमेजिंग सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन को 14 जनवरी को अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने इस कॉन्स्टेलेशन के तीन सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में 550 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया। यह कॉन्स्टेलेशन उन्नत हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्षमताओं, रीयल-टाइम डेटा संग्रह और जलवायु निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है।
बिरला इंस्टीट्यूट के छात्रों की अनोखी पहल
पिक्सल स्पेस की स्थापना 2019 में अवैस अहमद और क्षितिज खंडेलवाल ने की थी। दोनों उस समय बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) पिलानी के छात्र थे। सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने 95 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया और अपनी कंपनी को आगे बढ़ाया। यह फंडिंग भारत में स्पेस स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
क्या है ‘फायरफ्लाई’ कॉन्स्टेलेशन का काम
‘फायरफ्लाई’ कॉन्स्टेलेशन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्षीय वस्तुओं की निगरानी करना और सटीक जलवायु डेटा एकत्र करना है। इन सैटेलाइट्स के जरिए कृषि, वनीकरण, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े डेटा को रिकॉर्ड किया जाएगा।
पूर्व इसरो प्रमुख ने की प्रशंसा
पिक्सल की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. सोमनाथ ने कहा कि हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग की यह तकनीक अंतरिक्ष क्षेत्र में नई संभावनाओं को जन्म देगी। यह तकनीक पृथ्वी से जुड़े महत्वपूर्ण बदलावों की निगरानी में क्रांतिकारी साबित होगी।
भारत में निजी क्षेत्र की स्पेस यात्रा
अब तक सटीक पृथ्वी इमेजिंग सैटेलाइट्स का संचालन मुख्य रूप से इसरो ही करता था, जिसके पास वर्तमान में 52 सैटेलाइट्स हैं। लेकिन पिक्सल जैसी कंपनियां निजी क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही हैं और अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रही हैं।
इसके साथ ही, अंतरिक्ष के क्षेत्र में किसी निजी कंपनी की यह भागीदारी एक बड़ी उपलब्धि है। अमेरिका में यह काम स्पेसएक्स जैसी प्राइवेट कंपनी दशकों से कर रही है। इसके साथ ही, बोइंग और अमेजॉन के मालिक जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ऑरिजिन भी इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व जमाने की फिराक में है।
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