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ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े डैम को लेकर भारत ने जताई आपत्ति, चीन ने कहा- बांध से नहीं होगा कोई भी नुकसान; दिया भरोसा

बीजिंग। चीन द्वारा तिब्बत में यारलुंग सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना को लेकर भारत और बांग्लादेश ने चिंता जाहिर की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों पर आपत्ति जताई थी। चीन ने भारत की इन चिंताओं को खारिज करते हुए दावा किया है कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से वैज्ञानिक समीक्षा के बाद मंजूरी दी गई है और निचले इलाकों में पानी के बहाव पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

चीन ने कहा- निचले इलाकों पर असर नहीं होगा

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ याकुन ने कहा कि यारलुंग सांगपो नदी पर बांध बनाने से भारत या बांग्लादेश के जल प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट इकोसिस्टम को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बल्कि आपदाओं को रोकने और जलवायु परिवर्तन को संतुलित करने में मदद करेगा।

याकुन ने कहा कि चीन ने दशकों की रिसर्च और वैज्ञानिक अध्ययन के बाद इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। निचले इलाकों में जल प्रबंधन और भूकंप जैसे खतरों से निपटने के लिए यह परियोजना फायदेमंद होगी।

भारत ने जताई आपत्ति

भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध निर्माण को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 3 जनवरी को कहा कि इस परियोजना से निचले इलाकों, खासकर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और बांग्लादेश, में बाढ़, भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं और बढ़ सकती हैं। भारत का कहना है कि यह बांध हिमालय की उस घाटी में बनाया जा रहा है, जो भूकंप-प्रवण क्षेत्र में है। इससे ईकोसिस्टम पर दबाव बढ़ेगा और संभावित प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ेगी।

137 बिलियन डॉलर होगी प्रोजेक्ट की लागत

चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर लगभग 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 12 लाख करोड़ रुपए) खर्च कर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह बांध सालाना 300 अरब किलोवाट-घंटा बिजली पैदा करेगा, जो चीन के ऊर्जा उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। चीन का कहना है कि यह परियोजना जल संरक्षण, बिजली उत्पादन और आपदा प्रबंधन में मददगार होगी। साथ ही, यह निचले इलाकों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने का भी दावा कर रहा है।

यारलुंग सांगपो नदी तिब्बत के कैलाश पर्वत के पास एंग्सी ग्लेशियर से निकलती है और लगभग 3,000 किलोमीटर तक फैली हुई है। यह नदी भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है।

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