विकास शुक्ला, भोपाल। 2015 में पेरिस जलवायु समझौते के तहत 21वीं सदी के मध्य तक नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करना है। इसी दिशा में केंद्र सरकार के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने 17 सितंबर को अपनी एथेनॉल पॉलिसी जारी कर दी। इसमें निवेशकों को काफी सुविधाएं और छूट दी गई हैं। हालांकि, देश में जहां 98 प्रतिशत एथेनॉल का उत्पादन गन्ने से हो रहा है वहीं, मप्र की पॉलिसी में गन्ने और महुए को इससे बाहर रखा गया है। वजह, यहां गन्ने का उत्पादन कम होता है। ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश में मक्का, धान और अन्य अनाज से एथेनॉल बनाने वाले प्लांट लगेंगे।
इनमें मक्का, गेहूं, चावल, चुकंदर, ज्वार, कसावा, सड़े हुए आलू, शैवाल आदि का उपयोग किया जाएगा। अनाज से एथेनॉल बनाने वाले प्लांट का खर्च 10 गुना तक अधिक है, इसलिए सरकार ने प्लांट लगाने पर 7 साल तक प्रति लीटर 1.50 रुपए प्रोत्साहन राशि भी देने की योजना के साथ तमाम सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही है। उद्योग विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मप्र में एचपीसीएल प्लांट लगाने के लिए जगह देख रही है। इसके अलावा कुछ छोटी कंपनियां भी रुचि दिखा रही हैं।
- महुआ के लिए फॉरेस्ट विभाग अलग से पॉलिसी बना रहा है। हमारे यहां मक्का और धान ज्यादा पैदा होता है, इसको लेकर पॉलिसी बनाई गई है। गन्ने का उत्पादन मप्र में कम है, इस वजह से इसे बाहर रखा है। प्रदेश में 40 कंपनियों ने रुचि दिखाई है, जिसमें 20 से 22 निवेश करने को तैयार हैं। – संजय शुक्ला, प्रमुख सचिव उद्योग
अमेरिका दुनिया में एथेनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक
अमेरिका अभी दुनिया में एथेनॉल का सर्वाधिक प्रोडक्शन कर रहा है। इसके बाद ब्राजील और यूरोपीय यूनियन हैं। भारत एथेनॉल प्रोडक्शन के मामले में चीन से थोड़ा पीछे होकर पांचवें नंबर पर है।
एथेनॉल प्लांट लगने से किसे क्या फायदा
- पर्यावरण : कार्बन मोनो ऑक्साइड 35 प्रतिशत तक कम होगी।
- किसान : मप्र कृषि आधारित प्रदेश है। फसलों की डिमांड और मूल्य बढ़ेगी।
- आम लोग : कंपनियां प्रदेश में प्लांट लगाएंगी तो रोजगार बढ़ेगी। अर्थव्यवस्था बेहतर होगी।
HPCL होशंगाबाद में बड़ा प्लांट लगाने की कवायद में है। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है।
देश में नवंबर तक 330 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होगा
नीति आयोग की सितंबर में आई रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2020 से नवंबर 2021 तक देश में एथेनॉल का 3.3 अरब लीटर उत्पादन हुआ, जिसमें 2.9 अरब लीटर उत्पादन गन्ने का था। शेष 4.2 करोड़ लीटर उत्पादन अनाज डिस्टलरीज में हुआ। 2013-14 में भारत में 38 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद हुई थी। इसके बाद से लगातार उत्पादन बढ़ रहा है।
योजना… पेट्रोल पंपों में मिलेगा एथेनॉल, इसी से चलेंगे वाहन
केंद्र ने 5 जून 2021 को पुणे में ई-100 प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसके तहत तेल कंपनियों को एथेनॉल की बिक्री की अनुमति दी। इससे पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल के अलावा एथेनॉल की भी बिक्री की जा सकेगी। इस फ्यूल का इस्तेमाल उन्हीं गाड़ियों में होगा जो ई-100 के अनुकूल होंगी। सरकार ने देश में 418 एथेनॉल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।
गन्ने से एथेनॉल बनाना सस्ता, अनाज से 10 गुना तक महंगा
विशेषज्ञों के अनुसार फर्स्ट जेनरेशन (1-जी) एथेनॉल प्लांट ज्यादा व्यावहारिक हैं। इन्हें लगाने का खर्च 100 से 200 करोड़ , जबकि सेकंड जेनरेशन (2-जी) प्लांट में 1,000 करोड़ तक का खर्च आता है। देश में 2 टू- जी एथेनॉल प्लांट लगाने की योजना थी, लेकिन अब तक सिर्फ 5 प्लांट लग सके हैं।
दोनों प्लांट में अंतर
- 1-जी एथेनॉल संयंत्र में अनाज और गन्ने के रस और गुड़ जैसी चीजें कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होती हैं।
- 2-जी प्लांट में सरप्लस बायोमास और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करते हैं। यह गेहूं, मक्का, धान आदि से हो सकता है।
पेट्रोल पर निर्भरता घटेगी
- 2014 में पेट्रोल में औसतन 1 से 1.5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जा रहा था, जो कि 2021 में 8.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
- 2025 तक इसे 20 प्रतिशत तक ले जाना है। इसके लिए पूरे देश में एथेनॉल का उत्पादन तेज किया जा रहा है।
- 01 अप्रैल 2023 से तेल कंपनियों को 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने की अनुमति दे दी गई है।