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CBSE EXAM RESULTS 2023 – बारहवीं में तनय और दसवीं में साइली रहे भोपाल में अव्वल, नतीजे आने के बाद झूमे सफल विद्यार्थी, आप भी पढ़िए टॉपर्स की सक्सेज स्टोरी

प्रीति शर्मा जैन, भोपाल।  सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन(सीबीसएई)ने शुक्रवार को 10 वीं व 12 वी परीक्षा के परिणाम घोषित किए। दो दिन पहले ही एक सर्कुलर वायरल हुआ था जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे, कि इस बार रिजल्ट जल्दी जारी होगा।  हालांकि सीबीएसई ने इसके बाद एक क्लेरिफिकेशन जारी किया था जिसमें इस सर्कुलर को फेक बताया गया था। शुक्रवार को सभी कयासों के बीच सीबीएसई ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं के परिणाम जारी कर दिए।

CBSE के दसवीं और बारहवीं के रिजल्ट आने के बाद खुशी से उछलती छात्राएं

भोपाल में तनय और साइली रहे टॉपर

भोपाल से दसवीं में 99.4 फीसदी अंकों के साथ साइली देशपांडे सिटी टॉप बनीं। वहीं, 12 वीं क्लास में डीपीएस नीलबड़ के विद्यार्थी तनय निगम ने 99 फीसदी अंकों के साथ ह्यूमेनिटीज विषय के साथ राजधानी में पहला स्थान हासिल किया। इस बार भी सीबीएसई ने टॉपर्स की लिस्ट जारी नहीं की, हालांकि इस बार पिछले साल के मुकाबले एक माह पहले दसवीं और बारहवीं के एक्जाम रिजल्ट जारी किए हैं।

टॉपर्स की कहानी उन्ही की जुबानी

साइली देशपांडे
प्रतिशत: 99.4
स्कूल: डीपीएस, नीलबड़
अभिभावक: सचिन और सुप्रिया देशपांडे

 

मैंने साल की शुरूआत से ही टारगेट बनाकर पढ़ाई की थी कि मुझे 100 प्रतिशत अंक स्कोर करना है क्योंकि अधिकतम सोचने पर उसके आसपास पहुंचते हैं। मेरे टीचर्स ने सहयोग किया क्योंकि वे किसी भी समय जब मुझे कुछ पूछना हो, वे कॉल पिक करते थे। वहीं मैंने हर दिन 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। हालांकि इस दौरान में कॉमेडी सर्किल पर अपना पसंदीदा शो हर दिन शाम 4 से 5 बजे तक देखती थी। इसके अलावा में नेशनल लेवल चेस प्लेयर भी हूं लेकिन इस साल कॉम्पिटीशन में नहीं गई। इसके अलावा मुझे पियानो प्ले करना पसंद है। मैंने अपनी हैंडराइटिंग पर काफी काम किया क्योंकि कितना भी सही लिखा हो उसका प्रस्तुतिकरण अच्छा होना जरूरी है। क्लास नौवीं से ही अलग-अलग तरह से अपनी हैंडराइटिंग को सुधारा। मैंने अपने जवाब में खुद से तैयार किए उदाहरण लिखे ताकि जवाब अलग लगे। मुझे फ्रेंच, साइंस और आईटी में पूरे 100 अंक मिले हैं और अब मैं पीसीएम स्ट्रीम का चयन कर रही हूं।

पापा कहते हैं, नॉलेज के लिए ही पढ़ना…

 निष्ठा गुप्ता

प्रतिशत- 99.2

डीपीएस, कोलार

अभिभावक: श्रीकांत और अंकिता केशरवानी

डीपीएस कोलार


मैंने कभी भी टारगेट बनाकर पढ़ाई नहीं की क्योंकि मुझे टॉप करना है ऐसा कभी सोचा नहीं था। मुझे पढ़ना अच्छा लगता है तो हर दिन दिल से पढ़ती थी। मैं जैसे हर साल परीक्षा देती थी इस साल भी उसी तरह दी। प्री-बोर्ड में मेरे 91 प्रतिशत अंक थे तो सोचा कि थोड़ा और मेहनत करती हूं लेकिन तनाव मुझे एक फीसदी नहीं रहा बल्कि मैं पूरे साल अपने पापा के साथ पीवीआर में मूवी देखने गई और पापा भी मुझे खुशी-खुशी लेकर गए। जब हाफ ईयरली परीक्षा चल रही थीं तब मैंने महीने भर की गरबा वर्कशॉप भी जॉइन की। शाम को दोस्तों के साथ कॉलोनी में बैडमिंटन भी रोज खेला। मै स्ट्रेस फ्री इसलिए थी क्योंकि बचपन से ही मैं अपने कंसेप्ट क्लीयर रखती रही हूं और हमेशा स्कूल से आकर जो भी पढ़ाया गया उसका रिवीजन किया। वहीं परीक्षा से पहले रिवीजन भी किया। मुझे लगता है कि तनाव लेकर पढ़ाई करने से स्कोर बढ़ने की बजाए घटता है इसलिए आत्मविश्वास से पढ़ाई करें तो स्कोर अच्छा आता ही है। मेरे पापा कहते हैं, नॉलेज के लिए पढ़ाई करना अंकों के लिए नहीं और मेरा स्कोर जितना आता वे कभी मेरे से निराश नहीं होते इसका मुझे यकीन है। अब मैं आगे पीसीएम लेकर पढ़ाई करूंगी। मुझे फ्रेंच और आईटी में 100 में से 100 अंक मिले हैं।

कंसंट्रेशन ने दिलाई सक्सेज

प्रकम्य सिद्ध

प्रतिशत: 99.4

स्कूल डीपीएस स्कूल (नीलबड़)

प्रकम्य का कहना है कि मैं प्री बोर्ड के टाइम तो दिन में केवल 2 घंटे पढ़ता था और उसके बाद जैसे-जैसे एग्जाम पास आ रहे थे, मैंने स्टडी टाइम 4 घंटे कर दिया और फिर लास्ट मोमेंट में तो मैंने 6 से 8 घंटे तक पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज को पाने के लिए आपका कंसंट्रेशन बहुत जरूरी है, ऐसा नहीं है कि 16 से 18 घंटे पढ़ने से ही आप सफल हो पाते हैं और मैं रीक्रिएशन में बिलीव करता हूं, इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ रीक्रिएशन भी जरूरी है, और रीक्रिएशन के रुप में मैं कॉमिक बुक पढ़ना, सिंथेसाइजर बजाना, बैडमिंटन खेलना पसंद करता हूं । उन्होंने कहा कि मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल वालों को और अपने फैमिली वालों को देना चाहता हूं, इसके साथ ही मैं पीएसएम सब्जेक्ट लेकर आगे चलकर आईआईटी क्लियर करना चाहता हूं।

बचपन से ऑर्कियोलॉजिस्ट बनने का सपना

तनय निगम

प्रतिशत: 99,

स्ट्रीम: ह्यूमेनिटीज

स्कूल: डीपीएस, नीलबड़

मैं जब पांच साल का था तभी सोच लिया था कि मुझे हिस्ट्री पढ़ना है और फिर पढ़ाई करते हुए तय हुआ कि मुझे आर्कियोलॉजिस्ट बनना है इसलिए ह्यूमेनिटीज को चुना। जिस तरह लोग कहानियां पढ़ते हैं, उस तरह मैं हिस्ट्री की किताबें पढ़ता हूं। जहां भी घूमने जाता हूं सबसे पहले वहां म्यूजियम खोजता हूं क्योंकि वहीं मेरा मन सबसे ज्यादा लगता है। बारहवीं के लिए कोई खास स्ट्रेटजी नहीं बनाई, बस जो भी पढ़ाया गया और आन्सर राइटिंग खुद किया और टीचर्स को दिखाया। मैं प्रवेश परीक्षा देने वाला हूं जिससे दिल्ली यूनिवर्सिटी या बीएचयू में एडमिशन मिल सके। दरअसल, बचपन में हॉलीवुड मूवी ह्यद ममीह्ण देखकर इजिप्शियन हिस्ट्री में इंटरेस्ट आया था। यहां से एपिग्राफी और आइकोनोग्राफी को सीखने का भी शौक पैदा हुआ ताकि पुराने जमाने के स्कल्पचर और मंदिर के बारे में पता कर सकूं।

मोबाइल का असर पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया

नाम-  तोशिका जैन

प्रतिशत- 98.6

स्ट्रीम: ह्यूमेनिटीज

स्कूल- आईपीएस स्कूल

मेरे बारे में सुनकर यह अजीब लगेगा लेकिन मुझे थोड़ा मोबाइल एडिक्शन है जिसे लेकर मैं भी कई बार चिंतित हो जाती थी क्योंकि दिन में एक से दो घंटे मोबाइल पर बीतते थे। मेरे पैरेंट्स भी इसे लेकर थोड़ा परेशान थे लेकिन मैं जानती थी कि इसकी वजह से पढ़ाई पर असर नहीं पड़ने दूंगी और मैंने ऐसा किया भी। बस यदि हम कुछ गलत करते हैं तो पता होना चाहिए कि गलत कर रहे हैं ताकि सही भी कर सकें। मैंने परीक्षा के समय मोबाइल पर समय बिताना कम किया।  मुझे यूपीएससी क्लियर करना है इसलिए डीयू में पढ़ना चाहती हूं। मेरे पिता योगा ट्रेनर रहे हैं, जिस वजह से मुझे काफी फायदा हुआ, उन्होंने मुझे मेडिटेशन करना साथ ही नेचर के बीच रहना सिखाया जिससे स्ट्रेस को कम कर देती थी। इसके साथ ही मैं रेगुलर मंदिर जाती थी क्योंकि यह मेरी धार्मिक आस्था है।

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