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पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी को 10 साल की जेल, Cipher मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा

इस्‍लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री व पीटीआई नेता शाह महमूद कुरैशी को सायफर (Cipher) मामले में कोर्ट ने 10-10 साल की जेल की सजा सुनाई है। मंगलवार को रावलपिंडी में स्पेशल कोर्ट के जज ने अदियाला जेल में इसका ऐलान किया।

इमरान और कुरैशी की मौजूदगी में ही जज अबुल हसनत जुल्करनैन ने यह फैसला सुनाया। पिछले साल से ही केस की सुनवाई अदियाला जेल में चल रही है। सुनवाई के दौरान जज जुल्करनैन ने PTI नेताओं से कहा कि उनके वकील अदालत में पेश नहीं हुए हैं और उन्हें सरकारी वकील दिए गए हैं। दरअसल, इमरान खान इस समय रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं और वहीं पर इस मामले में फैसला सुनाया गया।

चुनाव लड़ने का रास्‍ता हो सकता बंद!

स्पेशल कोर्ट के इस फैसले को पूर्व पीएम इमरान खान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है जो अभी भी चुनाव लड़ने का ख्‍वाब देख रहे थे। माना जा रहा है कि 10 साल जेल की सजा के बाद अब इन दोनों के ही चुनाव लड़ने का रास्‍ता बंद हो गया। हालांकि, अभी उनके पास ऊपरी अदालत में अपील करने के रास्ते हैं, लेकिन जिस तरह सेना से उनकी अदावतें चल रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अदालतों से उन्हें कोई खास राहत नहीं मिलेगी। बता दें कि चुनाव से ठीक पहले इमरान खान की पार्टी से उसका चुनाव चिन्‍ह बल्‍ला भी ले लिया गया था।

क्या है Cipher केस?

इमरान और शाह महमूद कुरैशी के खिलाफ Cipher का ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इमरान खान पर बेहद गुप्त जानकारी के निजी इस्तेमाल करने का आरोप है। सत्ता से बेदखल होने के बाद इमरान ने आरोप लगाया था कि उन्हें बेदखल करने के पीछे अमेरिका का हाथ है।

इस मामले का संबंध गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे से हैं। खान ने 27 मार्च, 2022 को एक सार्वजनिक रैली में अमेरिका का नाम लेते हुए दावा किया था कि यह उनकी सरकार को गिराने की एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ का सबूत है।

PTI ने इस फैसले को देगी चुनौती

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक ‘‘झूठा मामला है। मीडिया या जनता को इससे दूर रखा गया।” उनकी पार्टी ने मीडिया संदेश में कहा, हमारी कानूनी टीम इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देगी।

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने मामले की लचर सुनवाई के तहत दो बार कार्यवाही को रद्द कर दिया था, मीडिया तथा जनता की पहुंच का आदेश दिया था। फिर भी कानूनी टीम को जाने नहीं दिया गया, उसे अलग रखा गया और जल्दबाजी में निर्णय लिया गया। ऐसे में उम्मीद है कि उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर सजा को निलंबित कर दिया जाएगा।

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