भले ही हमारी जिंदगी कांटो से भरी हुई है, लेकिन अगर हम अपने भटके हुए मन को बांध लें तो सारी चीजें सुलझ सकती हैं। यह कहना है, बॉलीवुड एक्टर और निर्देशक राजीव वर्मा का, जिनके मार्गदर्शन में रविवार को नाटक कैक्टस फ्लॉवर का मंचन भोपाल थिएटर्स के कलाकारों ने रवींद्र भवन में किया। इस नाटक की खास बात यह रही कि नाटक में सहयोग राशि के रूप में टिकट 100 रुपए का था। इस नाटक को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे। इस मौके पर बातचीत में निर्देशक राजीव वर्मा ने बताया कि यह प्ले बहुत पुराना है। इस नाटक को निर्देशित करने के लिए मैंने इसलिए चुना क्योंकि इस नाटक में कॉमेडी के साथ एक अच्छा मैसेज है। इससे हमें यह मैसेज मिलता है कि कांटों भरे जीवन में भी फूल खिल सकते हैं, यहीं वजह है कि इस नाटक का नाम कैक्टस फ्लॉवर है।
नाटक में दिखाई दो दोस्तों की कहानी
जीवन के हर पड़ाव का महत्व इस नाटक में दिखाया गया है। 40-45 साल के दो दोस्तों की यह कहानी इस नाटक में दिखाई गई जिसमें एक ऑफिसर है, जो शादीशुदा और बाल-बच्चों वाला है। दूसरा डॉक्टर है, जो दिलफेंक आशिक है, जिसके जीवन में कम उम्र की कई लड़कियां आती हैं, जिनके साथ वह घूमता-फिरता है, लेकिन आखिरी में उसे यह बात समझ आती है कि ऐसे जीवन नहीं चलेगा, तब वह अपने आशिकाना रवैया को छोड़कर अपनी ही क्लीनिक की एक नर्स से शादी कर लेता है।
मप्र के कैक्टस गार्डन का जिक्र
राजीव वर्मा ने बताया कि सैलाना एक स्टेट हुआ करती थी, जो नीमच के पास में थी। वहां की स्टेट के महाराजा का दुनिया में मशहूर कैक्टस गार्डन था। वहां मैं बहुत पहले एक प्ले करने गया था, यह बात करीब 1973-74 की है। तब उनकी पंचायत में मुझे प्ले के लिए बुलाया गया था। यह गार्डन अभी भी मौजूद है जिसे देखने पर्यटक आते हैं।
इंग्लिश कॉमेडी नाटक का हिंदी रूपांतरण किया
साल 1965 में लिखे गए इंग्लिश कॉमेडी प्ले के लेखक राइटर येब बरोस हैं। नाट्य मंचन के लिए इसका हिंदी रूपांतरण प्रवीण महूवाले ने किया।
कॉमेडी नाटक करने से मेरा मन होता है हल्का
कई विषयों पर नाटक करता हूं, लेकिन साल में एक कॉमेडी नाटक जरूर करता हूं। इससे मेरा मन हल्का होता है और थकावट दूर होती है, क्योंकि आदमी हमेशा गंभीर रहता है। ऐसे में कॉमेडी नाटक करने से मस्ती भी हो जाती है और हम अपने अभिनय से दर्शकों को कुछ अच्छे मैसेज दे पाते हैं। -राजीव वर्मा, निर्देशक व बॉलीवुड एक्टर
बहुत दिनों बाद गजब का नाटक देखने को मिला
बहुत दिनों बाद ऐसा गजब का नाटक देखने को मिला। नाटक की कहानी दिलचस्प थी, जिसे दर्शकों को आखिरी वक्त तक बांधे रखा। कलाकारों ने गजब का अभिनय किया। ऐसे नाटकों का मंचन होना चाहिए। – मुकेश गौर, दर्शक