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क्लाइमेट चेंज का असर; बढ़ सकती है एक्जिमा की समस्या

सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्च में खुलासा, स्किन पर पड़ रही मौसम की मार

कैलिफोर्निया। सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का कहना है कि क्लाइमेट चेंज के कारण एक्जिमा जैसे चर्म रोगों पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। उनका यह अध्ययन हाल ही में जर्नल एलर्जी में प्रकाशित हुआ है। रिसर्चर्स ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 10 दुष्प्रभावों का एक्जिमा पर होने वाले असर पर फोकस किया। इन दस दुष्प्रभावों में ग्लोबल वार्मिंग, हीट वेव्स, जंगल में आग, सूखा, बाढ़ तथा समुद्रों के बढ़ते स्तर को भी शामिल किया गया।

इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका तथा कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसीन के डर्मेटोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कैटरीना अबूबारा का कहना है कि हम बहुत पहले से ही यह जानते हैं कि जलवायु से संबंधित विभिन्न फैक्टर्स के प्रति एक्जिमा विशेष रूप से संवेदनशील होता है पर अध्ययन से प्रमाण मिला है। इस रिसर्च के लिए टीम ने 18 अध्ययनों में उपलब्ध डाटा का विश्लेषण किया तथा इनमें उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इस रोग पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में निष्कर्ष निकाला।

प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार से पड़ता है प्रभाव

कुछ मरीजों पर इसका सीधा असर पाया गया। विशेषकर जंगलों की आग से उत्पन्न होने वाले पार्टिकुलेट मैटर का रोग पर प्रत्यक्ष प्रभाव पाया गया। कुछ मरीजों में इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। इसमें सूखे से जुड़ी खाद्य असुरक्षा, गरीबी एवं इसके कारण होने वाले माइग्रेशन के कारण मरीजों का नियमित इलाज नहीं हो पाता तथा इससे उत्पन्न तनाव एक्जिमा की समस्या को बढ़ा सकता है।

इस तरह स्किन को बचाएं

  • हमेशा सनस्क्रीन एवं सन प्रोटेक्टिव कपड़े पहनें।
  • बाहर निकलने से पहले एयर क्वालिटी चेक करें।
  • प्रदूषण के कणों से बचने मॉइश्चराइजर्स का उपयोग करें।
  • हमेशा हाइड्रेटेड रहें।
  • अच्छे से भोजन करें, पर्याप्त नींद लें तथा एक्सरसाइज करें।
  • त्वचा को जेंटल क्लींजर्स से धोएं।
  • कुछ स्किन केयर प्रोडक्ट्स से भी दिक्कत होती है , उनसे बचें।

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