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बच्चा नींद में हाथ-पैर चलाए या दौड़ते-दौड़ते थक जाए, तो यह क्रोनिक किडनी डिजीज हो सकती हैं

एम्स, भोपाल के डॉक्टरों द्वारा 8 से 16 साल तक के बच्चों पर स्टडी में खुलासा

भोपाल। छह साल के रोहन (परिवर्तित नाम) का पढ़ाई में मन नहीं लगता था। खाने-पीने से भी मोहभंग होने लगता था। दौड़ते समय बैलेंस बिगड़ने से गिर जाता या फिर घुटने जवाब दे जाते थे। नींद में भी अक्सर हाथ-पैर चलाता था। जब सेहत ज्यादा खराब हुई तो परिजन ने उसे एम्स, भोपाल में दिखाया। यहां पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग में कुछ टेस्ट किए। यहां बताया गया कि वह लास्ट स्टेज किडनी डिजीज से पीड़ित था, जो क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) की आखिरी स्टेज है। उसे तत्काल डायलिसिस पर रखना पड़ा।

हाल में एम्स, भोपाल में बच्चों में किडनी की बीमारी को लेकर शोध किया गया है। इसमें सामने आया कि असामान्य ब्लड प्रेशर, बार-बार नींद टूटना , नींद में हाथ-पैर चलाने आदि जैसी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह लक्षण भी सीकेडी के हो सकते हैं। मेडिकल जर्नल पबमेड में छपी रिपोर्ट के अनुसार, सीकेडी से ग्रसित बच्चों में ऐसे लक्षण ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।

ऐसे किया गया शोध

जो बच्चे सीकेडी के 3 से 5 स्टेज से ग्रसित थे, उन पर यह शोध किया गया। इनकी 24 घंटे मॉनिटरिंग की गई। इसमें पॉलीसोम्नोग्राफी यानी नींद का अध्ययन किया गया। इस दौरान मस्तिष्क की तरंगों, खून में ऑक्सीजन लेवल, हृदय गति और सांस को रिकॉर्ड किया गया। आंख, हाथ-पैर की गतिविधियों को भी मापा गया। एंबुलेटरी ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग की गई। शोध डॉ. सूर्येन्द्रु कुमार, डॉ. अभिषेक गोयल, डॉ. महेंद्र अटलानी, डॉ. शिखा मलिक, डॉ. अभिजीत पखारे, डॉ. महेश माहेश्वरी ने किया।

शोध के मुख्य बिंदु

  • शोध में 8-16 साल के 60 बच्चे शामिल।
  • मध्यम से गंभीर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया 63 फीसदी बच्चों में देखा गया।
  • 91 फीसदी बच्चों में नींद में हाथ-पैर चलाने की समस्या देखी गई।
  • 40 फीसदी बच्चों में खराब नींद दक्षता।

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